नई दिल्ली: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि सोमवार को पड़ रही है। इस दिन देवी सरस्वती आह्वान और नवपत्रिका पूजा भी है। इस तिथि को सूर्य कन्या राशि और चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 7 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस दिन सप्तमी तिथि भी है, जो 29 सितंबर शाम 4 बजकर 31 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी।
नवरात्रि के दौरान सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। सप्तमी तिथि को सरस्वती आह्वान के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें भक्त मां सरस्वती को पूजा के लिए आमंत्रित करते हैं, जिसे आह्वान कहा जाता है। इसके बाद, देवी की पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सरस्वती का आह्वान मूल नक्षत्र में करना शुभ होता है और मूल से श्रवण नक्षत्र तक उनकी निरंतर पूजा की जाती है। मां सरस्वती विद्या, बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं, और उनकी पूजा से साधकों को शिक्षा और कला में सफलता मिलती है।
इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने के लिए साधक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद माता की चौकी साफ करें। मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पूजा शुरू करें, धूप, दीप, और अगरबत्ती जलाएं। मां को सफेद मिठाई, फूल, और फल अर्पित करें। सरस्वती मंत्रों का जाप करें, जैसे "ऊं ऐं सरस्वत्यै नमः।"
पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें। यह पूजा विद्यार्थियों और ज्ञान की खोज करने वालों के लिए विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।
सप्तमी तिथि को महासप्तमी के रूप में भी जाना जाता है, जो दुर्गा पूजा का पहला प्रमुख दिन है। इस दिन नवपत्रिका पूजा की जाती है, जिसमें मां दुर्गा को नौ पौधों के समूह के माध्यम से आमंत्रित किया जाता है।
नवपत्रिका में केला, नारियल, हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिल्व और जौ के पौधों की पत्तियां शामिल होती हैं, जो मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक हैं। इन पत्तियों को एक साथ बांधकर नदी में स्नान कराया जाता है, जिसे महास्नान कहते हैं। इसके बाद इन्हें लाल या नारंगी वस्त्र से सजाकर मां दुर्गा की मूर्ति की दाईं ओर चौकी पर स्थापित किया जाता है।
यह पूजा देवी दुर्गा को आमंत्रित करने और उन्हें भावांजलि अर्पित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
इस दिन देवी मां की आराधना करने के लिए साधक सुबह स्नान के बाद पूजा स्थल को साफ करें। नवपत्रिका के नौ पौधों को एकत्रित कर लाल धागे से बांधें। पवित्र नदी या जल में इनका स्नान कराएं। घर के मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। भगवान गणेश और मां दुर्गा की पूजा के साथ नवपत्रिका की आराधना करें। मंत्र जाप और आरती के बाद प्रसाद बांटें।
यह दिन नवरात्रि के दौरान शक्ति और ज्ञान की उपासना का संगम है। सरस्वती आह्वान और नवपत्रिका पूजा के माध्यम से भक्त अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह पर्व हमें प्रकृति और देवी शक्ति के बीच गहरे संबंध को भी दर्शाता है।