PM Modi Statement : नक्सल मुक्त भारत की ओर बढ़ रहा देश, विकास और संविधान के दायरे में हो रहा काम : संजय निरुपम

संजय निरुपम बोले—नक्सलवाद पर सरकार की सफलता ऐतिहासिक, लालू पर कसा तंज
नक्सल मुक्त भारत की ओर बढ़ रहा देश, विकास और संविधान के दायरे में हो रहा काम : संजय निरुपम

मुंबई: शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्‍होंने नक्सल के खात्मे पर बयान दिया था। निरुपम ने कहा कि देश को नक्‍सलवादी आतंकवाद को आखिरी पड़ाव पर पहुंचाने के लिए सरकार बधाई की पात्र है।

शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 2014 में जब सरकार बनी थी, तब देश के लगभग 125 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे। लगातार 11 वर्षों के प्रयासों से अब नक्सलवाद में भारी कमी आई है और लक्ष्य मार्च 2026 तक भारत को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त करना है। हाल ही में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने कहा कि सरकार संविधान की मर्यादा में रहकर विकास और शांति स्थापित करने की दिशा में अंतिम चरण में पहुंच गई है।

संजय निरुपम ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर तीखी टिप्‍पणी की। उन्‍होंने कहा कि लालू यादव के करीबी और कभी सिवान-छपरा क्षेत्र में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात गैंगस्टर शहाबुद्दीन ने बिहार में भय और हिंसा का माहौल बनाया था। अब उसी शहाबुद्दीन के बेटे को आरजेडी ने टिकट दिया है, जो अपने पिता जैसी ही भाषा और रवैया अपनाता है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे लोगों को मौका मिला तो बिहार में फिर से आतंक और गुंडागर्दी लौट आएगी। निरुपम ने छपरा और सिवान के मतदाताओं से अपील की कि वे ऐसे अपराधी मानसिकता वाले उम्मीदवारों को अस्वीकार करें और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएं।

निरुपम ने निजामुद्दीन दरगाह में जश्न-ए-चरागा पर बवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि निजामुद्दीन औलिया की दरगाह वह स्थान है जहां सदियों से हिंदू और मुसलमान एक साथ आते हैं। लगभग हजार साल पुरानी इस दरगाह का इतिहास आपसी सद्भाव और सूफी परंपराओं से जुड़ा है। सूफी संतों ने हमेशा हिंदू परंपराओं का सम्मान किया और कई मुस्लिम शासकों ने हिंदू ग्रंथों का अनुवाद कर उनके विचारों का प्रचार किया। ऐसे में अगर किसी संगठन द्वारा दरगाह में दीपावली या परस्पर सद्भाव का कार्यक्रम आयोजित करने पर आपत्ति की जाती है, तो यह कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और समाज को बांटने की साजिश है।

 

 

 

Related posts

Loading...

More from author

Loading...