Mohan Bhagwat Speech : मोहन भागवत ने समाज में एकता और सहिष्णुता बनाए रखने का किया आग्रह

मोहन भागवत बोले- गुरु तेग बहादुर का बलिदान अमर, समाज के लिए प्रेरणा
मोहन भागवत ने समाज में एकता और सहिष्णुता बनाए रखने का किया आग्रह

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि इस वर्ष पूरे देश में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस के रूप में याद किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने समाज को उत्पीड़न, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से बचाने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, इसलिए उनका योगदान अमर और अतुलनीय है।

भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपस्थित समस्त संयोजकों, अधिकारियों, पूज्य संतों, स्वयंसेवकों और महिलाओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह दिन हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने समाज में एकता और सहिष्णुता बनाए रखने का आग्रह किया।

उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में सरहद पार से आए आतंकवादियों द्वारा 26 भारतीय यात्रियों की हत्या का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने धर्म पूछकर बेरहमी से उन्हें मारा, जिसने पूरे भारत में गहरा शोक और क्रोध उत्पन्न कर दिया।

डा. भागवत ने कहा, "भारत सरकार ने इस हमले का कड़ा जवाब देने के लिए मई माह में योजना बनाई और कार्रवाई की। इस पूरे घटनाक्रम में देश के नेतृत्व की दृढ़ता, हमारी सेना के पराक्रम और युद्ध कौशल के साथ-साथ समाज की एकता का अद्भुत दर्शन हुआ।" उन्होंने इस दृढ़ता और एकता को देश की सबसे बड़ी ताकत बताया।

उन्होंने पर्यावरण पर चिंता जताते हुए कहा कि जो भौतिकवादी और उपभोक्तावादी विकास मॉडल विश्वभर में अपनाए जा रहे हैं, उनके दुष्परिणाम प्रकृति पर स्पष्ट दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, "अनियमित और अप्रत्याशित वर्षा, भूस्खलन और ग्लेशियरों के सूखने जैसी घटनाएं इसकी साक्षी हैं। हमें इस दिशा में सोच-समझ कर कदम उठाने होंगे।"

डा. भागवत ने प्रयागराज में हाल ही में संपन्न महाकुंभ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ न केवल श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति के कारण ऐतिहासिक बना, बल्कि इसकी बेहतर व्यवस्था ने भी सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। उन्होंने कहा, "महाकुंभ ने समस्त भारत में श्रद्धा और एकता की प्रचंड लहर पैदा की और इसे एक वैश्विक उदाहरण बना दिया।"

उन्होंने कहा, "देशभर में विशेषकर युवा पीढ़ी में राष्ट्रवादी भावना, सांस्कृतिक आस्था और आत्मविश्वास निरंतर बढ़ रहा है। स्वयंसेवकों के अलावा, विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं और व्यक्ति भी समाज के वंचित वर्गों की निस्वार्थ सेवा के लिए आगे आ रहे हैं।"

मोहन भागवत ने कहा, "श्रीलंका, बांग्लादेश और हाल ही में नेपाल में जनाक्रोश के हिंसक विस्फोट के कारण हुआ सत्ता परिवर्तन हमारे लिए चिंता का विषय है। भारत में ऐसी अशांति फैलाने की चाह रखने वाली ताकतें हमारे देश के अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय हैं।"

आरएसएस प्रमुख ने कहा, "विश्व परस्पर निर्भरता पर जीता है, परंतु स्वयं आत्मनिर्भर होकर विश्व जीवन की एकता को ध्यान में रखकर हम इस परस्पर निर्भरता को अपनी मजबूरी न बनने देते हुए अपनी स्वेच्छा से जिएं, ऐसा हमको बनना पड़ेगा। स्वदेशी और स्वावलंबन कोई पर्याय नहीं है।

 

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