Robert Vadra Land Case: रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने पर 2 अगस्त तक टला फैसला

वाड्रा की जमीन खरीद में मनी लॉन्ड्रिंग केस की सुनवाई 2 अगस्त तक टली
रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने पर 2 अगस्त तक टला फैसला

नई दिल्ली:  दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को हरियाणा के शिकोहपुर में एक भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने के फैसले को 2 अगस्त तक टाल दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने हरियाणा के गुरुग्राम जिले के शिकोहपुर गांव में स्थित 3.53 एकड़ जमीन धोखाधड़ी से खरीदी है।

इस मामले में गुरुवार को राऊज एवेन्यू कोर्ट को फैसला सुनाना था, जिसे 2 अगस्त तक के लिए फैसला टाल दिया गया।

पिछले हफ्ते, ट्रायल कोर्ट ने कांग्रेस सांसद रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सुनवाई के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील ने कहा कि बिक्री दस्तावेज में गलत तरीके से 7.5 करोड़ रुपए के भुगतान का जिक्र किया गया, जबकि वास्तव में ऐसा कोई भुगतान नहीं हुआ था। उन्होंने बताया कि यह राशि बाद में दी गई थी, ताकि स्टांप ड्यूटी से बचा जा सके और मुख्य गवाहों ने इसकी पुष्टि की है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया कि वाड्रा ने अपने निजी प्रभाव का इस्तेमाल करके खरीदी गई जमीन पर व्यावसायिक लाइसेंस प्राप्त किया। ईडी के अनुसार, इस जमीन को बाद में डीएलएफ को ऊंची कीमत पर बेचा गया।

इसी साल अप्रैल में ईडी ने वाड्रा से कई बार पूछताछ की। इस दौरान उनका बयान भी दर्ज किया गया।

फरवरी 2008 में, जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे, तब यह जमीन खरीद का सौदा हुआ था। आमतौर पर महीनों लगने वाली म्यूटेशन प्रक्रिया अगले ही दिन पूरी कर दी गई।

कुछ महीनों बाद, वाड्रा को इस जमीन पर हाउसिंग सोसाइटी बनाने का परमिट मिला, जिससे जमीन की कीमत बढ़ गई। जून में उन्होंने इसे डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शक है कि इस मुनाफे में मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है, इसलिए वे इसकी जांच कर रहे हैं।

अक्टूबर 2012 में, उस समय हरियाणा के भूमि रिकॉर्ड और पंजीकरण महानिदेशक रहे आईएएस अधिकारी अशोक खेमका (अब रिटायर्ड) ने प्रक्रियागत अनियमितताओं का हवाला देकर इस जमीन सौदे को रद्द कर दिया था। 2013 में सरकार की एक आंतरिक समिति ने वाड्रा और डीएलएफ को क्लीन चिट दे दी। बाद में, जब भाजपा की सरकार आई, तो हरियाणा पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, वाड्रा और अन्य के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की।

 

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