Randeep Surjewala News: राज्यसभा में चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर रणदीप सुरजेवाला ने की चर्चा की मांग, पेश किया स्थगन प्रस्ताव

सुरजेवाला ने कहा कि पारदर्शिता की कमी से लोकतंत्र की विश्वसनीयता को खतरा
राज्यसभा में चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर रणदीप सुरजेवाला ने की चर्चा की मांग, पेश किया स्थगन प्रस्ताव

नई दिल्ली:  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने चुनावी प्रक्रियाओं की अखंडता को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए राज्य सभा में नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव पेश कर इस पर चर्चा की मांग की है। इस प्रस्ताव में उन्होंने सदन के शून्यकाल, प्रश्नकाल और अन्य कार्यों को निलंबित कर चुनावी प्रक्रिया से जुड़े मुद्दों पर तत्काल चर्चा की मांग की है।

रणदीप सुरजेवाला ने अपने प्रस्ताव में कहा कि मतदाता सूची से कुछ समुदायों को बाहर किए जाने की खबरें चिंताजनक हैं। उन्होंने पारदर्शिता की कमी और सुरक्षा उपायों के अभाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खतरा है। उनका कहना है कि सदन को इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करना चाहिए ताकि चुनाव में उचित प्रक्रिया और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब देश में मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सुरजेवाला ने अपने पत्र में जोर दिया कि अनिश्चित समुदायों को मतदाता सूची से बाहर करना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने सदन से इस मामले को प्राथमिकता देने की अपील की है ताकि जनता का भरोसा कायम रहे।

राज्य सभा के नियम 267 के तहत किसी भी सूचीबद्ध कार्य को निलंबित कर तत्काल चर्चा की जा सकती है, बशर्ते सभापति इसकी अनुमति दें।

बता दें कि मौजूदा समय में बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया जारी है। इसके तहत फर्जी मतदाताओं को चिन्हित किया जा रहा है। मतदाता पुनरीक्षण में जुटे अधिकारियों का दावा है कि अब तक इस प्रक्रिया के तहत बांग्लादेश और नेपाल के कई नागरिकों को चिन्हित किया जा चुका है, जो यहां पर फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर रह रहे हैं।

वहीं, मतदाता पुनरीक्षण को भाजपा जहां जरूरी बता रही है, तो वहीं विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता पुनरीक्षण का सहारा लेकर भाजपा मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

 

 

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