पटना, 17 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' पर राजनीति तेज है। रविवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह कोई यात्रा नहीं है, बल्कि पत्थर पर सिर पटकने जैसी है।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी रविवार को पटना में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। राहुल गांधी की यात्रा से जुड़े सवाल पर उन्होंने जवाब में कहा, "यह यात्रा नहीं है, बल्कि यह कहें कि यह पत्थर पर सिर पटकने जैसी है।"
विपक्षी दलों पर सवाल उठाते हुए जीतन राम मांझी ने कहा, "यह यात्रा किसलिए हो रही है? क्या वे चाहते हैं कि जो 10-15 लाख लोग मर चुके हैं, वोटर लिस्ट से उनका नाम न कटे? 20 लाख ऐसे मतदाता हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है। सिर्फ बोगस मतदाता बने हुए थे, क्या उन लोगों का भी नाम नहीं कटे? ऐसे भी बहुत लोग हैं, जिनका कई जगह वोटर लिस्ट में नाम है, क्या इसमें सुधार नहीं होना चाहिए?"
एसआईआर प्रक्रिया की बात करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि यह सतत प्रक्रिया है। 2003 में भी एसआईआर हुआ। यह प्रक्रिया सिर्फ बिहार के लिए नहीं है, बल्कि पूरे भारत के लिए है। उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि भारत में मतदाता सूची का शुद्धिकरण हो, इससे डर सिर्फ उसी को लगता है, जो बोगस मतदाता के बल पर राजनीति कर रहे हैं।
जीतन राम मांझी ने लालू यादव के दौर को याद किया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं कि जब लालू प्रसाद यादव की सरकार थी, उस समय बोगस मतदाता बनाए गए थे और उनके बलबूते वे चुनाव जीते थे। लालू यादव का राजनीतिक अस्तित्व ही बोगस मतदाताओं की वजह से ही है। अगर वह बोगस मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे तो उनकी राजनीति समाप्त हो जाएगी। इसी कारण विपक्ष के लोग बिलबिला रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "अब वह भले यात्रा करें, लेकिन बिहार और भारत के नागरिक सब कुछ समझ रहे हैं। जनता को समझ आ रहा है कि एसआईआर प्रक्रिया गलत नहीं है।"
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