India Botswana Partnership : भारत-बोत्सवाना के स्थायी सहयोग को मजबूत करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

भारत-बोत्सवाना ने रणनीतिक सहयोग को नई दिशा देने पर सहमति
भारत-बोत्सवाना के स्थायी सहयोग को मजबूत करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बोत्सवाना के राष्ट्रपति डुमा बोको के साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की। राजकीय यात्रा के अंतिम दिन उन्होंने गुरुवार को बोत्सवाना के उपराष्ट्रपति नदाबा नकोसिनाथी गाओलाथे और विदेश मंत्री के साथ कई अहम बैठकें कीं।

राष्ट्रपति भवन की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा एक पोस्ट में बताया गया कि दोनों नेताओं ने उल्लेखनीय विकास पथ पर भारत की सराहना की। इन बैठकों में रणनीतिक क्षेत्रों में भारत-बोत्सवाना के स्थायी सहयोग को और मजबूत और गहरा करने के लिए आपसी हित के कई मुद्दों पर चर्चा की गई।

इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बोत्सवाना के गैबोरोन में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दूर रहकर भी आप सभी भारत की मिट्टी, संस्कृति और मूल्यों से गहराई से जुड़े हैं। आप भारत और बोत्सवाना के बीच मैत्री के जीवंत सेतु हैं।

उन्होंने कहा कि भारत और बोत्सवाना के बीच संबंध विश्वास, सम्मान और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हैं। आज मेरी बोत्सवाना के राष्ट्रपति बोको से बहुत सार्थक चर्चा हुई। हमने यह तय किया है कि हमारे देश व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में और अधिक सहयोग करेंगे।

उन्होंने कहा कि आपकी उपलब्धियां भारत का गौरव हैं और आपकी सफलता से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ती है। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप बोत्सवाना की प्रगति में योगदान देते रहें और साथ ही भारत से अपने संबंध को सशक्त बनाए रखें।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह क्षण और भी ऐतिहासिक है, क्योंकि भारत और बोत्सवाना 2026 में राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाएंगे। मुझे बताया गया है कि बोत्सवाना में 10,000 भारतीय व्यापार और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। मैं आप सभी को भारत के गौरवशाली राजदूत होने पर बधाई देती हूं।

वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गबोरोन में बोत्सवाना की राष्ट्रीय सभा को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और बोत्सवाना मिलकर एक अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ विश्व व्यवस्था में सार्थक योगदान दे सकते हैं, जो न केवल सार्थक वैश्विक दक्षिण सहयोग और एक सुधरे हुए बहुपक्षवाद का समर्थन करेगी, बल्कि उसे बनाने में भी मदद करेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि अपनी युवा जनसांख्यिकी और विशाल प्राकृतिक संसाधनों के साथ, अफ्रीका वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को गति दे सकता है।

--आईएएनएस

 

 

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