Indian Traditional knowledge: पीएम मोदी ने 'राधाकृष्ण संकीर्तन मंडली' को बताया खास, बोले- भक्ति के साथ ये देते हैं पर्यावरण बचाने का मंत्र

क्योंझर की मंडली ने भजन के ज़रिए दिया पर्यावरण संदेश, तंजावुर में पांडुलिपि संरक्षण की पहल।
पीएम मोदी ने 'राधाकृष्ण संकीर्तन मंडली' को बताया खास, बोले- भक्ति के साथ ये देते हैं पर्यावरण बचाने का मंत्र

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ के 124वें संस्करण में क्योंझर की भजन कीर्तन मंडली का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि आखिर ये मंडली क्यों खास है?

पीएम मोदी ने कहा, "भारत की विविधता की सबसे खूबसूरत झलक हमारे लोकगीतों और परंपराओं में मिलती है, और हमारे भजन-कीर्तन इसी का एक हिस्सा हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कीर्तन के ज़रिए लोगों को जंगल की आग के बारे में जागरूक किया जाता है? आपको शायद यकीन न हो, लेकिन ओडिशा के क्योंझर जिले में अद्भुत काम हो रहा है। यहां 'राधाकृष्ण संकीर्तन मंडली' नाम की एक मंडली है।"

उन्होंने आगे कहा, "भक्ति के साथ-साथ, अब यह कीर्तन मंडली पर्यावरण बचाने का मंत्र भी जप रही है। इस शानदार पहल के पीछे जिनका सबसे बड़ा योगदान है, वह हैं प्रमिला प्रधान जी। प्रमिला जी ने जंगल और पर्यावरण की रक्षा के लिए पुराने भजनों में नए बोल और नए संदेश जोड़े। उनकी मंडली गांव-गांव गई। गीतों के माध्यम से लोगों को यह समझाया गया कि जंगल की आग से कितना नुकसान होता है। यह उदाहरण हमें याद दिलाता है कि हमारी लोक परंपराएं अब अतीत की बात नहीं रहीं। उनमें आज भी समाज को दिशा देने की शक्ति है।"

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि, "हमारे त्योहार और परंपराएं भारतीय संस्कृति की एक मजबूत नींव हैं। हमारी संस्कृति की एक और खास बात है कि हम अपने अतीत और वर्तमान को लिखकर सहेजते हैं। हमारी असली ताकत छुपी हुई है उन पांडुलिपियों में, जो सैकड़ों सालों से संभाल कर रखी गई हैं। इन पांडुलिपियों में विज्ञान, चिकित्सा पद्धतियां, संगीत, दर्शन और सबसे महत्वपूर्ण, वो विचार समाहित हैं जो मानवता के भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं।"

उन्होंने कहा, "ऐसे असाधारण ज्ञान, इस धरोहर को संजोकर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। हमारे देश में हर युग में कुछ ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने इसे अपनी साधना बना लिया। ऐसे ही एक प्रेरक व्यक्तित्व हैं तमिलनाडु के तंजावुर के मणि मारन जी। उन्हें लगा कि अगर आज की पीढ़ी तमिल पांडुलिपियां पढ़ना नहीं सीखेगी, तो यह अनमोल धरोहर भविष्य में लुप्त हो जाएगी। इसके लिए उन्होंने शाम की कक्षाएँ शुरू कीं, जहाँ छात्र, कामकाजी युवा, शोधकर्ता, सभी सीखने के लिए आने लगे।"

पीएम मोदी ने बताया कि, "मणि मारन जी ने लोगों को 'तमिल सुवादियिल,' यानी ताड़ के पत्तों की पांडुलिपियों को पढ़ने और समझने की विधि सिखाई। आज, अनेक प्रयासों से, कई छात्र इस कला में पारंगत हो गए हैं। कुछ छात्रों ने तो इन पांडुलिपियों पर आधारित एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति पर शोध भी शुरू कर दिया है।"

 

 

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