Dalai Lama 90th Birthday: पीएम मोदी ने दलाई लामा को दी जन्मदिन की शुभकामनाएं, बताया- प्रेम और करुणा के प्रतीक

प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं, कहा– करुणा और धैर्य के प्रतीक हैं।
पीएम मोदी ने दलाई लामा को दी जन्मदिन की शुभकामनाएं, बताया- प्रेम और करुणा के प्रतीक

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर बधाई दी और उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्रार्थना की।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं 1.4 अरब भारतीयों के साथ परम पावन दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। वह प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के स्थायी प्रतीक रहे हैं। उनका संदेश सभी धर्मों में सम्मान और प्रशंसा की प्रेरणा रहा है। हम उनकी अच्छी सेहत और लंबी उम्र की प्रार्थना करते हैं।"

प्रधानमंत्री मोदी इस वक्त ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हैं, जहां वे 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने और राजकीय यात्रा पर हैं।

यह शुभकामनाएं उस समय आई हैं जब दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद चल रहा है। चीन ने भारत से कहा है कि वह इस मामले में ‘सावधानी’ बरते। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि भारत को अपने शब्दों और कार्यों में सावधानी रखनी चाहिए और चीन के अंदरूनी मामलों, खासकर तिब्बत से जुड़े मुद्दों में दखल नहीं देना चाहिए।

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहने वाले दलाई लामा को बीजिंग एक अलगाववादी मानता है। चीन को दलाई लामा का अंतरराष्ट्रीय नेताओं से मिलना या किसी सरकारी कार्यक्रम में जाना पसंद नहीं है।

साल 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर सार्वजनिक रूप से शुभकामनाएं देकर एक बड़ा बदलाव किया। इससे पहले की सरकारें आम तौर पर दलाई लामा से दूरी बनाए रखती थीं ताकि चीन नाराज न हो। लेकिन 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने खुले तौर पर उन्हें शुभकामनाएं देकर इस पुराने रवैये से साफ तौर पर अलग रास्ता अपनाया, जो भारत की रणनीति में एक अहम बदलाव था।

14वें दलाई लामा को अमेरिकी विदेश मंत्री ने 'बेजुबानों की आवाज' कहते हुए बधाई दी। अपने 90वें जन्मदिन से पहले, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ने कहा था, 'दलाई लामा की प्रथा भविष्य में जारी रहेगी। मेरे मरने के बाद उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगा।'

 

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