PL Punia Statement : कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा करने से बच रही केंद्र सरकार: पीएल पुनिया

पीएल पुनिया बोले- कांग्रेस बैठक से चुनावी रणनीति, जीएसटी सुधार राहुल गांधी की जीत
कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा करने से बच रही केंद्र सरकार: पीएल पुनिया

पटना: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने मंगलवार को बताया कि आखिर क्यों उनकी पार्टी मौजूदा समय में जगह-जगह ‘कांग्रेस वर्किंग कमेटी’ की बैठक कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सामने कई मुद्दे हैं, जिन पर वह सार्थक चर्चा करने से बच रही है, लेकिन हम इस बैठक के जरिए एक ऐसा मंच तैयार करने की कोशिश करते हैं, जहां सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा हो सके।

पीएल पुनिया ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी अपनी भावी रणनीति तैयार करने के लिए इस तरह की मीटिंग आयोजित कर रही है। मीटिंग में इस पर हम खुली चर्चा कर रहे हैं कि कैसे आगामी चुनाव में अपने लिए राजनीतिक स्थिति को अनुकूल किया जा सके।

पीएल पुनिया ने स्पष्ट किया कि अभी बिहार में चुनाव आ रहा है, तो निसंदेह यह कहा जा सकता है कि यह बैठक उसी को ध्यान में रखते हुए बुलाई गई है। हालांकि इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमारी पार्टी की तरफ से समय-समय पर इस तरह की बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिसमें हमारी पार्टी के सभी नेता शामिल होते हैं।

उन्होंने कहा कि सिर्फ आगामी चुनावों को देखते हुए कोई बैठक बुलाई गई है, यह कहना गलत होगा। सच्चाई यह है कि हम आमतौर पर यह बैठकें बुलाते रहते हैं ताकि पार्टी की स्थिति को मजबूत किया जा सके।

वहीं, उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी स्लैब में किए गए सुधार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दबाव में लिया गया फैसला करार दिया। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू किया था, तभी से हमारी पार्टी के नेता राहुल गांधी इसका विरोध करते हुए आ रहे थे।

उन्होंने स्पष्ट किया था कि केंद्र सरकार के इस कदम का आम जनता पर नकारात्मक असर पड़ेगा, लेकिन केंद्र सरकार ने हमारी बात नहीं मानी। राहुल गांधी ने हर बैठक में जीएसटी के मुद्दे को उठाया। अंत में केंद्र सरकार को इसमें बदलाव करना ही पड़ा।

कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब जीएसटी लागू किया था, तब उसकी तरफ से कई दावे किए गए थे कि इससे आम जनता को फायदा पहुंचेगा, लेकिन हमने लगातार इस व्यवस्था से जुड़ी विसंगतियों को लोगों के सामने रखा। पहले सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी रही, लेकिन अंत में सरकार को हमारी बात माननी ही पड़ी।

 

 

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