Paush Krishna Dwitiya : शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए करें 7 शनिवार व्रत, दूर होंगी नकारात्मकता

शनिवार व्रत और शनिदेव पूजा से शनि दोष दूर होने की मान्यता
शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए करें 7 शनिवार व्रत, दूर होंगी नकारात्मकता

नई दिल्ली: पौष माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि शनिवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य वृश्चिक में और चंद्रमा मिथुन राशि में रहेंगे। इस दिन कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

पौराणिक धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि शनिवार का व्रत रखने या शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने मात्र से जातक को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति प्राप्त होती है। शनिवार का व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से आप शुरू कर सकते हैं और 7 शनिवार व्रत रखने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

मान्यता है कि शनिदेव का वास पीपल के पेड़ पर होता है। अगर आपके घर के आसपास शनिदेव का मंदिर न हो, तो आप पीपल के पेड़ पर दीया जला सकते हैं। यदि किसी कारणवश जातक व्रत या पूजा नहीं कर सकते, तो हर शनिवार सरसों के तेल का दीया या फिर छाया दान (सरसों के तेल का दान) जरूर करें। इससे नकारात्मकता दूर होती है और शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, लेकिन शनिदेव की पूजा के समय उनसे नजरें न मिलाएं। ऐसा करने से शनिदेव का प्रकोप पड़ता है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। उन्हें गुड़, काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दीया भी जलाएं। इसके बाद शनि चालीसा और कथा का पाठ भी करें। पूजा के दौरान शनिदेव को पूरी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं और आरती करें।

--आईएएनएस

 

 

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