पाताल भुवनेश्वर मंदिर: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हैं स्वर्ग और नरक का द्वार, मुश्किलों को पार कर जाते हैं श्रद्धालु

पाताल भुवनेश्वर मंदिर: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हैं स्वर्ग और नरक का द्वार, मुश्किलों को पार कर जाते हैं श्रद्धालु

पिथौरागढ़, 9 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तराखंड की गोद में बसे अनगिनत रहस्यमय स्थानों में से एक है पाताल भुवनेश्वर मंदिर। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपने रहस्यों और प्राकृतिक संरचना के कारण यहां आने वाले हर व्यक्ति को चौंका देता है।

कहा जाता है कि इस गुफा मंदिर में दुनिया के खत्म होने का रहस्य छिपा हुआ है और यही बात इसे बाकी मंदिरों से अलग और विशेष बनाती है।

पाताल भुवनेश्वर मंदिर में जाने के लिए आपको इसकी 90 फीट गहरी गुफा में नीचे उतरना पड़ेगा, तब जाकर आप मुख्य मंदिर तक पहुंच पाएंगे, लेकिन नीचे उतरने के लिए कोई आरामदायक सीढ़ियां नहीं हैं, बल्कि आपको पतली और ऊबड़-खाबड़ सुरंगों के जरिए बड़ी सावधानी से उतरना होगा। अंदर जाने के लिए दोनों तरफ लोहे की चेन लगी है ताकि भक्त सुरक्षित उतर सकें। कहा जाता है कि जितनी कठिनाई अंदर जाने में होती है, उतनी ही बाहर निकलने में भी होती है, लेकिन भक्तों की आस्था इतनी गहरी है कि वे हर मुश्किल को पार कर यहां तक पहुंचते हैं।

गुफा में प्रवेश करते ही आपको शेषनाग की आकृति दिखाई देती है। मान्यता है कि धरती इन्हीं के फन पर टिकी हुई है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यहीं भगवान महादेव शिव निवास करते थे। इसी कारण यह स्थान देवभूमि के सबसे रहस्यमय और पूजनीय स्थलों में गिना जाता है।

मंदिर के भीतर स्वर्ग, नरक, मोक्ष और पाप के चार अद्भुत द्वार हैं। कहा जाता है कि यह द्वार जीवन के चार चरणों और कर्मों का प्रतीक हैं। इसके अलावा, यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं के स्वरूप और भगवान गणेश के सिर के दर्शन एक साथ होते हैं।

इस रहस्यमय गुफा में स्थित शिवलिंग की एक विशेष मान्यता है। मान्यता है कि यह शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है और जब यह गुफा की छत को छू लेगा, तो दुनिया का अंत हो जाएगा।

पाताल भुवनेश्वर मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लगभग 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी यह गुफा अपने आप में एक रहस्यलोक है।

--आईएएनएस

पीआईएम/वीसी

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