नई दिल्ली: आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से बौखलया पाकिस्तान अपना गुस्सा निकलने लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर गोलाबारी कर रहा है। पुंछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा के करीब एक गुरुद्वारा साहिब पर हमला किया। पाकिस्तान के हमले में अमरीक सिंह (गुरुद्वारे में रागी भाई) सहित 3 लोग मारे गए। पाकिस्तानी सेना के कदम से साफ हो गया है कि अब वह भारतीयों को टारगेट कर रहा है, जिसके तहत पाकिस्तानी सेना ने टारगेट कर गुरुद्वारे पर यह हमला किया।
सिखों को टागरेट करने के पाकिस्तानी सेना जनरल असीम मुनीर का यह फैसला उन पर भारी पड़ सकता है। सिख समुदाय में इस लेकर काफी नाराजगी है। बताया जा रहा है कि भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट इससे नाराज है। यह रेजिमेंट इतनी सशक्त है कि कई मोर्चों पर पाकिस्तान को धूल चटा चुकी है।
दरअसल, पंजाब रेजिमेंट भारतीय थल सेना की सबसे पुरानी और गौरवशाली रेजिमेंटों में से एक है। पंजाब रेजिमेंट अकेले ही पाकिस्तान पर कई मोर्चों पर भारी पड़ सकती है। इसका इतिहास 18वीं सदी से शुरू होता है।
यह रेजिमेंट अनेक युद्धों, अभियानों और सैन्य अभियानों में अपनी वीरता को दिखा चुकी है। इसकी नींव 1761 में पड़ी, जब मद्रास आर्मी (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना) में पहली बटालियन बनी थी। पंजाब रेजिमेंट दोनों विश्व युद्ध, 1947, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध तक में शामिल रही है।
इसके सैनिक सीमा क्षेत्रों खास तौर पर एलओसी जम्मू-कश्मीर में सालों से तैनात रहे हैं और पाकिस्तानी सेना से लगातार आमना-सामना करते रहे हैं। रणनीतिक, लॉजिस्टिक्स, आर्टिलरी और टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर बेहद मजबूतर सेना की यह रेजिमेंट पाकिस्तान से युद्ध जैसे हालातों में निर्णायक प्रभाव डाल सकती है।