नई दिल्ली: लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बिल की कॉपियां फाड़कर फेंकने के मामले पर भाजपा हमलावर है। विपक्ष को निशाने पर लेते हुए भाजपा सांसदों ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने वहां जिस तरह का कृत्य किया, वह निंदनीय है।
संविधान संशोधन बिल पर विपक्ष के हंगामे को लेकर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि कांग्रेस को क्यों इतनी परेशानी है? उनके सिर्फ तीन राज्यों में मुख्यमंत्री हैं। इस बिल के कारण हमारी पार्टी को ही टेंशन ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि प्रधानमंत्री से लेकर कई राज्यों में मुख्यमंत्री भाजपा और एनडीए के हैं। उन्होंने कहा कि देश में ठीक तरीके से व्यवहार होना चाहिए, इसलिए सरकार बिल लाई है और हम इस बिल को पास कराकर रहेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार नैतिकता की दृष्टि से बिल लेकर आई है। जी किशन रेड्डी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि लालू प्रसाद यादव को जेल जाने से बचाने के लिए उनकी सरकार अध्यादेश लाई थी। उसी अध्यादेश को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़कर फेंका था।
विपक्षी सांसदों की तरफ से बिल की कॉपी फाड़ने पर केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने निंदा की। उन्होंने कहा, "इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। लोकतंत्र में विपक्ष की अपनी एक भूमिका होती है, और यह सकारात्मक होनी चाहिए। अगर मतभेद है तो सदन का पटल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन जिस तरह का व्यवहार विपक्ष के सदस्यों ने दिखाया है, वह स्वीकार नहीं किया जा सकता है।"
संविधान संशोधन बिल पर भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने कहा, "यह कानून के शासन को बनाए रखने का एक ईमानदार प्रयास है और लोगों की भावनाओं के अनुरूप है। हालांकि, 'इंडी' गठबंधन उन लोगों के साथ सरकार चलाना चाहता है जो जेल में हैं, यही वजह है कि वे परेशान हैं।"
सदन में विपक्ष के व्यवहार पर भाजपा सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने जिस तरह से लोकतंत्र का मजाक उड़ाया है, वह उनके परिवार की पिछली आदतों के अनुरूप है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने वहां जिस तरह का कृत्य किया, वह निंदनीय है।
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि सभी दल अपनी सीटों से विरोध कर रहे थे, जो गलत नहीं है, लेकिन कुछ सांसद जानबूझकर वेल में आ गए और जानबूझकर कागज फाड़ने लगे।
संविधान संशोधन बिल पर भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा कि यह विधेयक दलों के खिलाफ नहीं, सरकारों के खिलाफ है। चाहे वह केंद्र की सरकार हो या राज्यों में भाजपा और गैर-भाजपा सरकारें हों, वहां उच्च पदों पर रहने वाले प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को बेल नहीं मिलने पर इस्तीफा देना चाहिए, लेकिन देखा गया है कि दिल्ली में ऐसा नहीं हुआ। इस कारण सरकार यह बिल लाई है।
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