Bhakta Charan Das Statement: कांग्रेस ओडिशा में 35 से 40 सीटें जीत सकती थी : भक्त चरण दास

भक्त चरण दास: ओडिशा चुनावों में बड़े पैमाने पर वोट चोरी हुई
कांग्रेस ओडिशा में 35 से 40 सीटें जीत सकती थी : भक्त चरण दास

भुवनेश्वर: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया है। इसी क्रम में ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) ने यह दावा किया कि हाल के चुनावों में ओडिशा और अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर 'वोट चोरी' हुई है।

पीसीसी अध्यक्ष भक्त चरण दास ने मीडिया से बातचीत के दौरान दावा किया कि अगर कोई हेराफेरी नहीं होती, तो कांग्रेस ओडिशा में 35 से 40 विधानसभा सीटें जीत लेती।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में एक साजिश रची गई थी। दास ने सवाल किया कि भाजपा 20 लोकसभा सीटें कैसे जीत सकती है?

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का 'वोट चोरी' पर वीडियो न केवल राज्य या जिला स्तर पर, बल्कि जागरूकता फैलाने के लिए गांवों में भी दिखाया जाएगा। सोमवार से जिला स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। बीजद इस पर चुप क्यों है? वे तब सत्ता में थे, अब वे मुख्य विपक्ष हैं, उन्हें यह मुद्दा उठाना चाहिए।

दास ने सवाल किया कि जब संसद डिजिटल हो गई है, तो चुनाव आयोग ऐसा क्यों नहीं कर सकता?

कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने 2004 में अपने निर्वाचन क्षेत्र के 151 बूथों पर 'वोट चोरी की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले चुनावों में बीजद सुप्रीमो ने 20 लोकसभा सीटों से समझौता किया, जिससे भाजपा केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब रही।

उन्होंने सवाल किया कि ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में 42 लाख से ज्‍यादा अतिरिक्त वोट डाले गए। बीजद ने 51 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की, लेकिन एक भी संसदीय क्षेत्र नहीं जीत पाई। भाजपा कालाहांडी और केंद्रपाड़ा से लोकसभा सीटें कैसे जीत पाई, जबकि उसने दोनों जगहों से सिर्फ एक विधानसभा सीट जीती थी?

दास ने इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर 'वोट चोरी' अभूतपूर्व है। उन्होंने चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ दल पर मतदाता सूची में हेरफेर करने और मतदाता डाटा छिपाने के लिए मिलीभगत करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर अंपायर ही वोट चुराएगा, तो खेल निष्पक्ष कैसे हो सकता है?

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में एक नया हथकंडा अपनाया गया है, पुराने मतदाताओं के नाम सूची से हटाकर उनकी जगह नए नाम डाल दिए गए हैं। महाराष्ट्र में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। राज्य चुनाव आयोग के एक पत्र में आगामी चुनावों के लिए एजेंटों के नाम मांगे गए हैं, जिनका इस्तेमाल उन्हें अनुचित तरीकों से प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है।

 

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