Nirmala Sitharaman : 'वंदे मातरम' भारत को भावना और संकल्प में एकजुट करता है: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

निर्मला सीतारमण ने ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर दी श्रद्धांजलि
'वंदे मातरम' भारत को भावना और संकल्प में एकजुट करता है: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ पर कहा कि यह गीत हमारी मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के प्रतीक के रूप में दर्शाता है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "हमारा राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' आज 150 गौरवशाली वर्ष पूरे कर रहा है। श्री बंकिमचंद्र चटर्जी की ओर से रचित 'वंदे मातरम' एक शाश्वत रचना है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों को गहराई से प्रेरित किया। यह गीत हमारी मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के प्रतीक के रूप में दर्शाता है। 'वंदे मातरम' आज भी राष्ट्रीय गौरव का बोध कराता है और हमारे राष्ट्र को भावना और संकल्प में एकजुट करता है।"

 

इस मौके पर निर्मला सीतारमण ने देशवासियों से 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ पर शुरू की गई पहल से जुड़ने का आह्वान किया। एक वेबसाइट का लिंक शेयर करते हुए उन्होंने कहा, "वंदे मातरम गाएं और वीडियो अपलोड करके अपनी देशभक्ति की भावना देश के साथ साझा करें।"

 

राष्ट्रीय गीत के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को सालभर चलने वाले 'स्मरणोत्सव' का उद्घाटन किया जाएगा। यह कार्यक्रम 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक राष्‍ट्रीय गीत वंदे मातरम रचित किए जाने के वर्ष भर चलने वाले राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव का औपचारिक शुभारंभ है, जो इस कालातीत रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में आयोजित होगा। इस राष्‍ट्रीय गीत ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया और सदा ही राष्ट्रीय गौरव एवं एकता का अलख जगाता रहा है।

 

राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' अक्षय नवमी के पावन अवसर पर 7 नवंबर 1875 को लिखा गया था। 'वंदे मातरम' पहली बार साहित्यिक पत्रिका 'बंगदर्शन' में उनके उपन्यास 'आनंदमठ' के एक अंश के रूप में प्रकाशित हुआ था। मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक बताते हुए इस गीत ने भारत की एकता और आत्‍मगौरव की जागृत भावना को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी। यह गीत जल्‍द ही राष्ट्र के प्रति समर्पण का एक चिरस्थायी प्रतीक बन गया।

 

--आईएएनएस

 

 

 

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