नई दिल्ली: नई दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में शनिवार को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) का अखिल भारतीय मुस्लिम महासम्मेलन बेहद भव्य और ऐतिहासिक अंदाज में आयोजित हुआ। हजारों की संख्या में देशभर से आए कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसमें हिस्सा लिया।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने अपने संबोधन में आतंकवाद और नशे को समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा, "आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, वह सिर्फ शैतानियत है। हम हिन्दुस्तानी थे, हैं और रहेंगे। हमारी पहचान पर कोई सवाल नहीं उठा सकता।"
उन्होंने कहा कि अब समय है शिक्षा, तहजीब और तरक्की पर जोर देकर भारत को आगे बढ़ाने का। उन्होंने चेतावनी दी कि घुसपैठिए देश के मुसलमानों के हक पर कब्जा कर रहे हैं। अगर घुसपैठिए नौकरी लेंगे तो यहां का मुसलमान रोजगार से वंचित हो जाएगा।
एनसीएमईआई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शाहिद अख्तर ने कहा कि एमआरएम अपनी 25 साल की गौरवपूर्ण यात्रा पूरी करने जा रहा है और अब अगले 25 वर्षों के लिए नई दिशा तय करनी होगी। उन्होंने कहा, "हमें दर्शक नहीं, राष्ट्र निर्माता बनना है।"
उन्होंने घोषणा की कि आने वाले समय में मुस्लिम समाज के लिए सुलह केंद्र, स्किल डेवलपमेंट सेंटर, छात्रवृत्ति योजनाएं और करियर गाइडेंस सेल शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "हजरत मोहम्मद साहब मुसलमानों की आस्था और पहचान की बुनियाद हैं, दुनिया को मोहब्बत, इल्म और इंसाफ का यह पैगाम समझना होगा।"
राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल ने कहा कि यह मंच सिर्फ दो कमरों से शुरू हुआ था और पहले सम्मेलन में मात्र 110 लोग थे। आज यहां 10,000 कार्यकर्ताओं की मौजूदगी इस संगठन की गहरी जड़ों और व्यापक स्वीकार्यता का सबूत है।
सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि एमआरएम ने हमेशा देश तोड़ने की ताकतों का सामना किया है। अजमेर शरीफ दरगाह के चेयरमैन ख्वाजा नसरुद्दीन ने भारत को सबसे न्यायप्रिय देश बताया। ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम मौलाना उमेर इलियासी ने कहा, "हिंदू-मुस्लिम सबका डीएनए एक है।" पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जाटिया ने मंच के राष्ट्र निर्माण में योगदान की प्रशंसा की।
मंच की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनी अली ने कहा कि अब मुस्लिम महिलाएं केवल लाभार्थी नहीं बल्कि नेतृत्वकर्ता बनेंगी। उन्होंने कहा, "तीन तलाक की समाप्ति के बाद महिलाओं में नई चेतना आई है। अब शिक्षा, कौशल और आर्थिक स्वतंत्रता के जरिए उन्हें सशक्त बनाना हमारा लक्ष्य है।"