भोपाल: कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई ने राज्य की मोहन यादव सरकार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय किए जाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कमलनाथ की सरकार के कार्यकाल में ओबीसी का आरक्षण 27 प्रतिशत किया गया था, जिसे भाजपा की सरकार ने लागू नहीं किया है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज संयुक्त पत्रकार वार्ता में कहा कि भाजपा सरकार ने छह वर्षों तक ओबीसी समाज के साथ खुला अन्याय किया है। कांग्रेस सरकार ने कमलनाथ के नेतृत्व में अध्यादेश और कानून बनाकर 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था, लेकिन भाजपा ने 2021 में परिपत्र और 2022 में आदेश जारी कर नियुक्तियों को रोक दिया। 87 प्रतिशत नियुक्तियां ही की गईं और 13 प्रतिशत बिना किसी कानूनी आधार के रोक दी गईं। इस नीति से एक लाख से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित हुए, हजारों उम्मीदवारों की नौकरियां अटकीं और कई ने आत्महत्या तक कर ली।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने कहा कि भाजपा सरकार ने 100 करोड़ रुपए सिर्फ वकीलों पर खर्च किए आरक्षण रोकने के लिए। जबकि शिवराज सिंह और मोहन यादव कहते रहे कि वे आरक्षण के पक्षधर हैं। यदि सचमुच पक्ष में थे, तो 2019 का कानून लागू करने से किसने रोका? अब स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि यह अन्याय क्यों हुआ।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस ओबीसी समाज को उनका हक देने के खिलाफ हैं। कांग्रेस ने आरक्षण दिया था और कांग्रेस ही ओबीसी समाज का हक दिलाकर रहेगी।”
वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भाजपा सरकार की दोहरी नीति को उजागर करते हुए कहा कि ओबीसी समाज को केवल छलावा और जुमले दिए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं जातिगत जनगणना को ‘अर्बन नक्सल’ कहकर भाजपा की मानसिकता जाहिर कर दी है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा बुलाई गई 28 अगस्त की सर्वदलीय बैठक मात्र दिखावा है। अगर सरकार की नीयत साफ है तो तत्काल आदेश जारी कर 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट बार-बार सरकार से पूछ रहा है कि नियुक्तियां क्यों रोकी गईं। चार जुलाई 2025 को कोर्ट ने पूछा कि 13 प्रतिशत नियुक्तियां क्यों होल्ड की गईं? 29 जून 2025 को फिर पूछा कि 27 प्रतिशत आरक्षण क्यों लागू नहीं किया गया? अन्य राज्य ऐसे हैं जहां ओबीसी को मध्य प्रदेश से ज्यादा आरक्षण मिल रहा है।