कोयंबटूर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोयंबटूर में आयोजित दक्षिण भारत प्राकृतिक कृषि शिखर सम्मेलन में किसानों के साथ हुई बातचीत का एक वीडियो गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केले के अवशेषों से बने कपड़े-बर्तन, मोरिंगा पाउडर, पारंपरिक चावल की सैकड़ों किस्में, सफेद चाय, जीआई टैग वाले पान के पत्ते और शहद जैसे उत्पाद देखकर काफी प्रभावित हुए।
उन्होंने किसानों के इनोवेशन, बाजार तक पहुंच और युवाओं के जुड़ाव की खुलकर सराहना भी की।
तमिलनाडु के कोयंबटूर में बुधवार को आयोजित दक्षिण भारत प्राकृतिक कृषि शिखर सम्मेलन-2025 में प्राकृतिक खेती कर रहे सैकड़ों किसानों से लंबी बातचीत की। प्रधानमंत्री सबसे पहले केले की खेती करने वाले किसानों के स्टॉल पर रुके। वहां केले के तने, पत्ते और रेशों से बने बैग, कपड़े, बर्तन और अन्य उत्पाद देखकर उन्होंने पूछा, “क्या ये पूरे भारत में ऑनलाइन बिकते हैं?”
किसान ने हां कहा और बताया कि उनके किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) में करीब एक हजार किसान जुड़े हैं। ये उत्पाद तमिलनाडु के अलावा पूरे देश के सुपरमार्केटों में और विदेशों में भी निर्यात होते हैं। प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या केले के साथ दूसरी फसलें भी ली जाती हैं तो किसानों ने बताया कि अलग-अलग इलाकों में अलग विशेष फसलें उगाई जाती हैं और कई जीआई टैग प्राप्त उत्पाद भी हैं।
इसके बाद प्रधानमंत्री नीलगिरि की मशहूर चाय के स्टॉल पर पहुंचे। किसान ने सफेद चाय, हरी चाय, काली चाय और ऊलोंग चाय के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए कहा, “आजकल सफेद चाय का बहुत बड़ा बाजार बन रहा है।” किसान ने सहमति जताई।
मोरिंगा (सहजन) के स्टॉल पर प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या इसकी पत्तियों का पाउडर निर्यात होता है? किसान ने बताया कि मांग बहुत ज्यादा है और बड़े पैमाने पर विदेश भेजा जा रहा है।
तमिलनाडु के पारंपरिक धान और जीआई उत्पादों के स्टॉल पर किसानों ने बताया कि राज्य में करीब एक हजार पारंपरिक धान की किस्में संरक्षित हैं, जिनका पोषण मूल्य मोटे अनाज जितना ही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “धान के क्षेत्र में तमिलनाडु ने जो काम किया है, वह दुनिया में कहीं नहीं हुआ।” कुंभकोणम के पान के पत्ते और मदुरै की मोगरा चमेली देखकर उन्होंने हल्के अंदाज में पूछा, “वाराणसी वाले भी पान खाते हैं न?” किसानों ने हंसते हुए कहा, “जी बिल्कुल, पूरे देश में जाते हैं।”
एक युवा किसान ने बताया कि उन्होंने प्राकृतिक खेती से प्रतिमाह दो लाख रुपए तक की कमाई शुरू की है और अपने फार्म पर 7,000 किसानों व 3,000 कॉलेज छात्रों को ट्रेनिंग दी है। वे सीधे विदेशों में हेयर ऑयल, नारियल तेल और साबुन निर्यात करते हैं। प्रधानमंत्री ने खुशी जताई कि अब पीएचडी करने वाले युवा भी खेती की ओर आ रहे हैं।
मवेशी पालन पर बात करते हुए मोदी ने गुजरात के अपने पुराने प्रयोग की याद दिलाई। उन्होंने कहा, “हमने गांव में सभी गायों को एक जगह रखने का ‘गोशाला हॉस्टल’ शुरू किया था। इससे गांव साफ रहता है और गोबर से जीवामृत बनाकर किसानों में बांटा जाता है।” तमिलनाडु के किसानों ने बताया कि वे भी यही कर रहे हैं और बड़े पैमाने पर जैविक खाद बना रहे हैं।
इस मौके पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि और केंद्रीय मंत्री डॉ. एल. मुरुगन भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने सभी किसानों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती ही भविष्य है और तमिलनाडु इसमें देश को रास्ता दिखा रहा है।
--आईएएनएस
