Manipur Illegal Migration Control: असम राइफल्स ने अवैध प्रवासन पर कसी नकेल, बायोमेट्रिक्स आधारित डेटाबेस तैयार

असम राइफल्स प्रमुख ले. जनरल विकास लखेरा ने मणिपुर में अवैध प्रवासन रोकने के लिए सरकार की नई पहल का खुलासा किया। एफएमआर को सख्त किया गया है और अब तक 42,000 सीमा पार आने वालों का बायोमेट्रिक डेटा जुटाकर आधार व अन्य एजेंसियों से जोड़ा गया है। साथ ही, भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने की तैयारी है, जिससे सुरक्षा और अवैध प्रवासन नियंत्रण में मजबूती आएगी। यह कदम 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का हिस्सा है।
मणिपुर: असम राइफल्स ने अवैध प्रवासन पर कसी नकेल, बायोमेट्रिक्स आधारित डेटाबेस तैयार

इंफाल: असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेरा ने मणिपुर में अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए सरकार की नई पहल की जानकारी दी।

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने फ्री मूवमेंट रेजिमेंट (एफएमआर) को और सख्त करने का फैसला किया है, जो पहले किसी भी सरकार ने लागू नहीं किया था। इसका उद्देश्य सीमा पार से आने वाले लोगों की सटीक जानकारी जुटाना और उनकी पहचान को औपचारिक रूप देना है।

लखेरा ने कहा कि 31 दिसंबर 2024 से अब तक मणिपुर में सीमा पार से आने वाले लगभग 42,000 लोगों का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र किया गया है। इस डेटा में लोगों की उंगलियों के निशान, फोटो और अन्य पहचान संबंधी जानकारी शामिल है। यह डेटा आधार, यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ साझा किया गया है। इससे एक मजबूत डेटाबेस तैयार किया गया है, जो भविष्य में अवैध प्रवासन को रोकने में मदद करेगा।

उन्होंने आगे बताया कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का काम जल्द शुरू होगा। यह बाड़ अवैध प्रवासन और अन्य सीमा संबंधी चुनौतियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

लखेरा ने कहा कि डेटाबेस और बाड़ लगाने से असम राइफल्स सीमा पर सुरक्षा-व्यवस्था मजबूत होगी।

लखेरा ने यह भी कहा कि यह कदम न केवल मणिपुर, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा। यह कदम अवैध प्रवासन पर नियंत्रण और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। असम राइफल्स की यह पहल क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

वहीं, प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस पहल को भारत सरकार की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य पूर्वोत्तर राज्यों में विकास और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।

 

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