नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बिहार मतदाता सूची मामले पर लोकसभा में स्थगित प्रस्ताव नोटिस दिया है। लोकसभा स्पीकर को भेजे नोटिस में कांग्रेस सांसद ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और लोकतांत्रिक अधिकारों पर इसके संभावित खतरे पर चर्चा की मांग की।
तमिलनाडु के विरुधुनगर से कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा की कार्य संचालन और कार्य प्रक्रिया की नियमावली के नियम 56 के तहत यह नोटिस दिया है। उन्होंने अपने पत्र में एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कानूनी चिंताओं और दस्तावेजों की शर्तों का उल्लेख किया है।
प्रस्ताव में कांग्रेस सांसद ने मांग करते हुए लिखा, "यह सदन अपने सामान्य कार्य को स्थगित कर इस जरूरी और जनहित के विषय पर चर्चा करे, अर्थात् बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), जो करोड़ों पात्र नागरिकों, विशेषकर वंचित समुदायों से जुड़े लोगों के मतदान के मौलिक अधिकार को खतरे में डालता है, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की पवित्रता को चुनौती देता है।"
मणिकम टैगोर ने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया अपारदर्शी और मनमानी है। बिना पूर्व सूचना या प्रक्रिया के तहत हजारों नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। इसके अलावा, एसआईआर के तहत मतदाताओं को नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र या पासपोर्ट जैसे कड़े दस्तावेजों के कारण लाखों लोग संभावित रूप से अपने संवैधानिक मतदान के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
उन्होंने 'राजनीतिक दुरुपयोग' के भी आरोप लगाए हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा, "एसआईआर को सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा विपक्षी मतों को दबाने के एक राजनीतिक उपकरण के रूप में देखा जा रहा है, विशेषकर उन समुदायों के विरुद्ध जो मौजूदा सरकार का समर्थन नहीं करते। यह निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत और समान प्रतिनिधित्व की भावना को ठेस पहुंचाता है।"
इसी तरह कांग्रेस सांसद ने अनुचित समय और रसद संबंधी चुनौतियों, संवैधानिक और कानूनी चिंताओं का भी जिक्र किया है।
उन्होंने मांग की कि यह सदन इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करे कि कैसे एसआईआर लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य कर रहा है, करोड़ों पात्र मतदाताओं को मतदान के अधिकार से वंचित कर सकता है और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित कर रहा है। इसलिए इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की सामान्य कार्यवाही स्थगित की जाए और भारत के चुनाव आयोग को हमारे संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए इन चिंताओं का समाधान करने का निर्देश दिया जाए।