जालंधर, 3 सितंबर (आईएएनएस)। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), जालंधर ने विशेष न्यायालय (पीएमएलए), मोहाली के समक्ष पंजाब के पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इससे पहले ईडी ने साधु सिंह धर्मसोत के विरुद्ध 13 मार्च 2024 को अपनी पहली अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, जिसमें विशेष न्यायाधीश (पीएमएलए) द्वारा पहले ही आरोप तय किए जा चुके हैं।
पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने पंजाब वन विभाग के कामकाज में पाई गई कई अनियमितताओं के संबंध में भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कीं। इसके आधार पर ईडी ने जांच शुरू की।
ईडी की जांच में पता चला है कि साधु सिंह धर्मसोत ने तत्कालीन वन मंत्री के रूप में पंजाब सरकार में पेड़ों की कटाई के लिए परमिट देने, वन विभाग में अधिकारियों के स्थानांतरण, तैनाती करने और विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने के एवज में भारी रिश्वत की मांग की और उसे स्वीकार किया। अब तक की जांच के आधार पर यह स्पष्ट हो गया कि धर्मसोत ने इस तरह के भ्रष्ट आचरण के माध्यम से 1.77 करोड़ रुपए की अपराध आय (पीओसी) अर्जित की।
आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच में पता चला है कि साधु सिंह धर्मसोत ने 6.34 करोड़ रुपए की पीओसी अर्जित की। इस संबंध में विशेष न्यायाधीश (पीएमएलए) के समक्ष 14 मार्च 2024 को एक अभियोजन शिकायत दायर की गई थी।
ईडी की जांच में यह भी पता चला कि रेंज वन अधिकारी सुखविंदर सिंह और ब्लॉक अधिकारी मोहिंदरपाल सिंह ने 53.64 लाख रुपए की सरकारी धनराशि का गबन किया, जो बुढलाडा वन रेंज को प्रतिपूरक वनरोपण योजना के तहत ट्री गार्ड की खरीद के लिए आवंटित की गई थी।
जांच में पाया गया कि ट्री गार्ड की कोई खरीद नहीं की गई, बल्कि धनराशि अस्थायी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में भेजी गई और बाद में नकद निकाल ली गई। इससे पहले आरएफओ सुखविंदर सिंह की 53.64 लाख रुपए की संपत्ति भी ईडी द्वारा अस्थायी रूप से कुर्क की गई थी।
ईडी ने 30 नवंबर 2023 को विभिन्न परिसरों की तलाशी भी ली थी और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 15 जनवरी 2024 को पंजाब के पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को भी गिरफ्तार किया था।
--आईएएनएस
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