Malegaon Blast Verdict: भगवा आतंकवाद का प्रतीक नहीं हो सकता : सुरेश्वरानंद महाराज

मालेगांव केस में बरी हुए आरोपियों पर साधु-संतों ने भगवा की प्रतिष्ठा की जीत बताया
भगवा आतंकवाद का प्रतीक नहीं हो सकता : सुरेश्वरानंद महाराज

उज्जैन: मालेगांव ब्लास्ट केस में गुरुवार को एनआईए की विशेष अदालत के फैसले में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद उज्जैन में साधु-संतों में खुशी देखने को मिली। मिठाइयां बांटकर साधु-संतों ने एक-दूसरे को बधाई दी।

सुरेश्वरानंद महाराज ने आईएएनएस से बातचीत में मालेगांव ब्लास्ट केस में आए अदालती फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भगवा धारण करने वाले साधु-संतों का उद्देश्य सभी को सुख देने और पीड़ा निवारण के लिए स्वयं को कष्ट देना होता है। उन्होंने कहा कि भगवा आतंकवाद का प्रतीक नहीं हो सकता और इस मामले में भगवा को बदनाम करने की साजिश की गई थी।

उनके अनुसार, यह फैसला उन लोगों के लिए जवाब है, जो धर्म के नाम पर सनातनियों को प्रताड़ित करते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 17 साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया में आरोपियों को काफी कष्ट सहना पड़ा, और यह फैसला उन्हें बरी करता है, उनके कष्ट की भरपाई संभव नहीं हो सकती। उन्होंने भगवा को देश की सुरक्षा और रक्षा से जोड़ते हुए इस फैसले का स्वागत किया।

महंत विशाल दास ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस फैसले ने साधु-संतों और भगवा पर लगाए गए घिनौने आरोपों से मुक्ति दिलाई है। उन्होंने भगवा को राष्ट्र और शांति का प्रतीक बताया और इस फैसले को मार्ग प्रशस्त करने वाला करार दिया। उनके अनुसार, भगवा हमेशा शांति का प्रतीक रहा है और इस फैसले से उन्हें बहुत खुशी हुई है।

महंत सत्यानंद ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला भगवा और सनातन संस्कृति पर लगाए गए झूठे आरोपों को खारिज करता है। उन्होंने कहा कि भगवा को आतंकी ठहराने की साजिश करने वाले स्वयं आतंकी गतिविधियों से जुड़े हो सकते हैं। भगवा सनातन धर्म और राष्ट्रवाद का प्रतीक है, जो समाज को एकजुट करने और सनातन संस्कृति को संरक्षण प्रदान करने का कार्य करता है। उन्होंने इस फैसले को सत्य की जीत और साधु-संतों की भूमि भारत की सनातन परंपरा की विजय बताया, जो आदि और अनंत से परे है।

 

 

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