Bangladeshi Fake Birth Certificate: किरीट सोमैया बोले,' पिछले दो महीनों में सरकार ने 42,189 फर्जी प्रमाणपत्र किए रद्द'

किरीट सोमैया का दावा– 42 हजार से ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाणपत्र रद्द, SIT जांच जारी
महाराष्ट्र जन्म प्रमाणपत्र घोटाला: किरीट सोमैया बोले,' पिछले दो महीनों में सरकार ने 42,189 फर्जी प्रमाणपत्र किए रद्द'

मुंबई:  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र में चल रहे फर्जी जन्म प्रमाणपत्र घोटाले को लेकर बड़ा अपडेट दिया है। उनके अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दो महीनों में 42,189 अपात्र बांग्लादेशी नागरिकों के जन्म प्रमाणपत्र रद्द किए हैं।

इनमें से 11,053 मूल जन्म प्रमाणपत्र वापस ले लिए गए हैं। इस घोटाले का केंद्र अकोला और अमरावती जैसे जिले रहे हैं, जहां 3,048 और 2,823 घुसपैठियों को फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए थे।

सोमैया ने बताया कि यह घोटाला राज्य में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, जिसमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय नागरिकता के दस्तावेज दिए गए। उन्होंने इस मामले को "महाराष्ट्र के इतिहास का सबसे खतरनाक घुसपैठ घोटाला" करार दिया।

उनकी ओर से पुलिस को सौंपे गए 478 पन्नों के सबूतों में अकोला जिले के 52 लोगों के खिलाफ छह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने में शामिल थे। ये मामले अकोट, तेल्हारा, बार्शीटाकली, रामदासपेठ, मुर्तिजापुर और पातुर पुलिस थानों में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किए गए हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जनवरी 2025 में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जो देरी से जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की शिकायतों की जांच कर रहा है।

महाराष्ट्र सरकार ने इस घोटाले को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने विधानसभा में बताया कि मुंबई में ठेकेदारों और डेवलपर्स को बांग्लादेशी नागरिकों को नौकरी न देने का निर्देश दिया गया है। मालेगांव में दो तहसीलदारों को निलंबित किया गया है और जालना जिले में 3,595 फर्जी प्रमाणपत्र रद्द किए गए हैं।

बता दें इससे पहले मार्च के महीने में भाजपा नेता सोमैया ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि बांग्लादेशी जन्म प्रमाण पत्र घोटाला महाराष्ट्र में वर्ष 2024 में हुआ, जिसमें नायब तहसीलदार को जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं था, फिर भी उन्होंने लगभग 40 हजार लोगों को गैर कानूनी तरीके से जन्म प्रमाण पत्र दिए थे।

 

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