Om Birla On Disruptions: सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

ओम बिरला बोले– सदन बाधित करना ठीक नहीं, मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हूं।
सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

नई दिल्ली:  मानसून सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को सदन में विपक्षी सांसदों की ओर से जोरदार हंगामा हुआ, जिसके कारण लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दोपहर दो बजे तक सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा कि सुनियोजित व्यवधान लोकतंत्र के लिए अच्छे नहीं होते हैं।

ओम बिरला ने कहा, "मैंने हमेशा यह प्रयास किया है कि सदन सुचारू रूप से चले, विशेष रूप से प्रश्नकाल के दौरान। मेरा हमेशा यही प्रयास रहता है कि प्रश्नकाल माननीय सदस्यों का समय होता है, और इस दौरान व्यापक चर्चा होनी चाहिए, जिसमें सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित हो। लेकिन पिछले कुछ दिनों से मैं देख रहा हूं कि सदन को जानबूझकर बाधित किया जा रहा है। तख्तियां लहराई जा रही हैं और नारेबाजी हो रही है।"

उन्होंने आगे कहा, "यदि आप किसी मुद्दे या विषय पर चर्चा करना चाहते हैं, तो आप आएं। मैं हर मुद्दे पर सरकार से बात करके चर्चा का रास्ता निकाल सकता हूं। लेकिन सदन के अंदर या बाहर केवल तख्तियां लहराकर और नारेबाजी करके बाधा डालना उचित नहीं है। यदि आपको लगता है कि कोई मुद्दा महत्वपूर्ण है, तो आएं, मैं सरकार के प्रतिनिधियों और आपको बुलाकर मुद्दों पर चर्चा करवाऊंगा। लेकिन यह तरीका ठीक नहीं है।"

ओम बिरला ने कहा, "दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हमारे पीछे लाखों लोग बड़ी आशाओं के साथ सदन की कार्यवाही को देखते हैं। वे उम्मीद करते हैं कि उनके मुद्दों, उनकी आकांक्षाओं और उनकी चिंताओं पर सदन में चर्चा होगी। तख्तियां लेकर नारेबाजी करना उचित नहीं है। यदि आप सदन नहीं चलाना चाहते और चर्चा में हिस्सा नहीं लेना चाहते, तो यह नियोजित गतिरोध लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।"

उन्होंने कहा, "मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप आएं और हर विषय पर चर्चा के लिए मैं आपकी सहमति बनाऊंगा। लेकिन प्रश्नकाल के दौरान केवल उन माननीय सदस्यों को बोलने का अवसर दिया जाता है जिनका प्रश्न होता है। यह हमारी अच्छी परंपरा रही है, और हमें इसका पालन करना चाहिए। यदि किसी विषय पर गतिरोध हो, तो हमें इस परंपरा को बनाए रखना चाहिए।"

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अंत में कहा, "लोकतंत्र में आपको अपनी असहमति दर्ज कराने का अधिकार है। लेकिन असहमति को संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं और मर्यादाओं के अनुसार व्यक्त करना चाहिए।"

 

 

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