Large Intestine Health : बड़ी आंत की गंदगी ही है कई बीमारियों की जड़, जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

बड़ी आंत इम्युनिटी का गढ़, आयुर्वेदिक उपायों से पाचन और स्वास्थ्य दोनों को लाभ।
बड़ी आंत की गंदगी ही है कई बीमारियों की जड़, जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

नई दिल्ली: हमारे शरीर का पाचन तंत्र अत्यंत जटिल और अद्भुत है, जिसमें बड़ी आंत (लार्ज इंटेस्टाइन) भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। छोटी आंत भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण करती है, जबकि बड़ी आंत शरीर की सफाई और स्वास्थ्य की रक्षा में एक मौन प्रहरी की तरह काम करती है।

बड़ी आंत की लंबाई लगभग डेढ़ मीटर यानी पांच फीट होती है, जो छोटी आंत से कम है, लेकिन इसका कार्य जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है। बड़ी आंत भोजन के अपशिष्ट से जल और आवश्यक लवण जैसे सोडियम व पोटैशियम को पुनः अवशोषित करती है, जिससे शरीर निर्जलीकरण से बचता है।

इसके अलावा, बड़ी आंत सूक्ष्मजीवों का विशाल संसार है, जिसमें लगभग 100 खरब से अधिक माइक्रोब्स रहते हैं। ये सूक्ष्मजीव विटामिन के और बी-समूह का निर्माण करते हैं तथा शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत बनाते हैं। वास्तव में, शरीर की लगभग 70 प्रतिशत रोग प्रतिरोधक क्षमता आंतों पर निर्भर करती है, खासकर बड़ी आंत पर, इसीलिए इसे इम्युनिटी का गढ़ भी कहा जाता है।

बड़ी आंत का मस्तिष्क से भी गहरा संबंध है, जिसे आंत्र-मस्तिष्क अक्ष कहा जाता है। यही कारण है कि कब्ज़, दस्त या आंत की किसी समस्या का सीधा असर मानसिक स्थिति, तनाव और मूड पर पड़ता है। आंत के जीवाणु सेरोटोनिन जैसे हार्मोन के स्तर को भी प्रभावित करते हैं, जो नींद और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं।

वहीं, रेशेदार आहार बड़ी आंत के सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का कार्य करता है, जिससे वे शॉर्ट चेन फैटी एसिड उत्पन्न करते हैं, जो कैंसर से बचाव, सूजन को कम करने और आंत को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

यदि अपशिष्ट लंबे समय तक आंत में रुका रहता है तो हानिकारक द्रव्य पुनः शरीर में अवशोषित हो सकते हैं, जिससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद में इसे ही कहा गया है 'मलावरोधः सर्वरोगानां मूलम्।' यही कारण है कि बड़ी आंत में कोलन कैंसर का खतरा भी अधिक देखा जाता है, विशेषकर उन लोगों में जो रेशे की कमी, जंक फूड और अत्यधिक मांसाहार करते हैं।

बड़ी आंत को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक उपाय अत्यंत कारगर हैं। त्रिफला चूर्ण का सेवन रात को गुनगुने पानी के साथ करने से आंत साफ रहती है। इसबगोल की भूसी कब्ज और गैस को दूर करने में सहायक है। सुबह उठकर गुनगुना पानी पीने से आंत की सफाई सहज होती है। फाइबर युक्त आहार जैसे हरी सब्जियां, फल और सलाद आंत के सूक्ष्मजीवों को पोषण देते हैं, जबकि घी आंत को चिकनाई प्रदान कर कब्ज से बचाता है।

इसके अलावा, योगासन जैसे पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तानासन और प्राणायाम (कपालभाति) आंतों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। नियमित दिनचर्या, समय पर भोजन, तनाव से दूरी और पर्याप्त नींद बड़ी आंत को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

 

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