तिरुवनंतपुरम: केरल के कोच्चि स्थित सेंट रीटा पब्लिक स्कूल में एक मुस्लिम छात्रा द्वारा हिजाब पहनने के विवाद का मामला तूल पकड़ा हुआ है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने सरकार से राज्य के सभी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक स्पष्ट परिपत्र जारी करने की मांग की है।
एसडीपीआई के प्रदेश अध्यक्ष सीपीए लतीफ ने शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी के बयान को तत्काल लागू करने की अपील की है, जिसमें उन्होंने स्कूल प्रशासनों को लड़कियों को सिर पर स्कार्फ या हिजाब पहनकर पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देने का निर्देश दिया था।
विवाद की शुरुआत 7 अक्टूबर को हुई, जब कक्षा आठवीं की एक मुस्लिम छात्रा ने स्कूल पहुंचकर हिजाब पहना। स्कूल प्रबंधन, जो लैटिन कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित है, ने इसे यूनिफॉर्म कोड का उल्लंघन बताते हुए हटाने को कहा। छात्रा ने आरोप लगाया कि गेट पर ही उसे हिजाब उतारने पर मजबूर किया गया और असेंबली में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई। उसके पिता अनीस ने बताया कि पहले उनकी बेटी स्कार्फ को बिना पिन किए पहनती थी, लेकिन अब पूर्ण हिजाब पहनने पर विवाद हो गया। स्कूल प्रबंधन ने दावा किया कि एडमिशन के समय छात्र डायरी में ड्रेस कोड स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।
विवाद बढ़ने पर 13 अक्टूबर को स्कूल ने दो दिनों की छुट्टी घोषित कर दी, जिसे प्रबंधन ने 'कर्मचारियों की मानसिक पीड़ा' का हवाला देकर उचित ठहराया। पीटीए अधिकारी जॉसफ कैथावलप्पिल ने आरोप लगाया कि छात्रा के माता-पिता को एसडीपीआई के सदस्यों का समर्थन प्राप्त था, जिन्होंने स्कूल पहुंचकर प्रिंसिपल और बहनों (ज्यादातर नन) के साथ दुर्व्यवहार किया। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने केरल हाईकोर्ट का रुख किया और पुलिस सुरक्षा के आदेश प्राप्त किए। हाईकोर्ट ने विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता का सुझाव दिया।
शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने तत्काल हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा, "केरल धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का प्रतीक है। यहां किसी छात्रा को हिजाब पहनने के कारण पढ़ाई से वंचित नहीं किया जा सकता।" उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल को निर्देश दिए कि छात्रा को हिजाब के साथ कक्षा में प्रवेश दें और उसके तथा उसके माता-पिता को हुई मानसिक पीड़ा का समाधान करें। मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह सरकार का आधिकारिक रुख है और इसे लागू करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। शिक्षा उपनिदेशक की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि छात्रा को कक्षा से निकालना शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। लतीफ ने कहा, "संस्थानों के नियम संविधान से ऊपर नहीं। आस्था और पूजा की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है। सरकार को सतर्क रहना चाहिए।"
एर्नाकुलम सांसद हिबी ईडन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए लतीफ ने कहा कि ईडन का 'समझौता नाटक' संकट को बढ़ावा दे रहा है, क्योंकि वे मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपना रहे। 14 अक्टूबर को ईडन की मध्यस्थता से अनीस ने स्कूल नियमों का पालन करने पर सहमति जताई, ताकि सांप्रदायिक तनाव न फैले। उन्होंने बताया, "बाहरी तत्वों द्वारा शोषण रोकने के लिए हमने यह कदम उठाया।"