नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित 'कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025' का रविवार को अंतिम दिन रहा। इस अवसर पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने विदेश नीति और आर्थिक दृष्टिकोण पर अपने विचार साझा किए।
उन्होंने बताया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा को राष्ट्रीय क्षमताओं के साथ-साथ विभिन्न स्रोतों से सहयोग लेकर पूरा कर सकता है। इससे जोखिम भी कम होगा और देश की मजबूती बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति का मुख्य आधार है ज्यादा से ज्यादा उपयोगी रिश्ते बनाना, लेकिन यह सुनिश्चित करना कि ये रिश्ते किसी एक देश के साथ विशेष न हों, जिससे दूसरे देशों के साथ अवसरों का नुकसान हो। इसे मल्टी-अलाइनमेंट नीति कहा जाता है, जिसका मतलब है कि भारत अलग-अलग देशों और क्षेत्रों के साथ समान रूप से अच्छे संबंध बनाए रखे।
जयशंकर ने यह भी बताया कि इस नीति को अपनाना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि कई देशों के अलग-अलग हित होते हैं। इसी कारण भारत को हर स्थिति में समझदारी से काम लेना होता है ताकि सभी के साथ संतुलित और लाभकारी रिश्ते बन सकें। देश के अंदर की चुनौती यह है कि हमें अपनी राष्ट्रीय शक्ति के हर पहलू को मजबूत करना होगा। पिछले दस सालों में भारत ने इस दिशा में ठोस आधार बनाया है। आने वाले पांच साल वैश्विक स्तर पर भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे क्योंकि दुनिया तेजी से बदल रही है। लेकिन, भारत आत्मविश्वास और मजबूती के साथ इन चुनौतियों का सामना करेगा।
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की यह बहुमुखी विदेश नीति और राष्ट्रीय ताकत देश के लिए अच्छे नतीजे लेकर आएगी।
वहीं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 'कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन' में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दूरदर्शिता और लचीलेपन के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है।