के.कामराज की जयंती: मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया याद, बताया सामाजिक न्याय का अथक समर्थक

नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के दिग्गज नेता रहे के. कामराज (कुमारस्वामी कामराज) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत रत्न के. कामराज को नमन करते हुए सामाजिक न्याय के लिए किए गए प्रयासों को याद किया।

अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर खड़गे ने कहा, “स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख व्यक्तियों में से एक, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और भारत रत्न से सम्मानित कामराज सामाजिक न्याय के अथक समर्थक थे। उनकी दूरदर्शी मध्याह्न भोजन योजना एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में उभरी, जिसने बाधाओं को तोड़ा और समाज के वंचित लोगों तक शिक्षा पहुंचाई। राष्ट्र निर्माण पर उनके परिवर्तनकारी प्रभाव ने भारत की प्रगति यात्रा पर एक अमिट छाप छोड़ी है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम उनकी चिरस्थायी विरासत का सम्मान करते हैं, लोगों के कल्याण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके संवेदनशील, उत्तरदायी शासन का सम्मान करते हैं।”

बता दें कि के. कामराज (कुमारस्वामी कामराज) एक प्रमुख भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 15 जुलाई 1903 को तमिलनाडु के विरुधुनगर में हुआ था। वे 1954 से 1963 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

कामराज ने मुख्यमंत्री के रूप में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को बढ़ावा दिया। उनके द्वारा शुरू की गई मिड-डे मील योजना (मध्याह्न भोजन योजना) ने स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1963 में, उन्होंने कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए "कामराज योजना" प्रस्तावित की, जिसमें वरिष्ठ नेताओं से सरकारी पद छोड़कर संगठनात्मक कार्य करने का आह्वान किया गया। इस योजना ने भारतीय राजनीति में नई ऊर्जा लाने में मदद की।

कामराज ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और कई बार जेल गए। वे गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित थे। अपनी सादगी और जनता से जुड़ाव के कारण उन्हें "किंगमेकर" और "जनता का नेता" कहा जाता था।

कामराज 1964 से 1967 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 1976 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका निधन 2 अक्टूबर 1975 को हुआ। कामराज को उनकी सादगी, शिक्षा के प्रति समर्पण और राजनीतिक दूरदर्शिता के लिए आज भी याद किया जाता है।

--आईएएनएस

एसएचके/केआर

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