Surinder Chaudhary Statement : आतंकवाद को किसी धर्म या आस्था से जोड़ना बेहद गलत : जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री

उपमुख्यमंत्री चौधरी—आतंक का न धर्म, न मजहब; युवाओं में बढ़ते अपराध पर चिंता
आतंकवाद को किसी धर्म या आस्था से जोड़ना बेहद गलत : जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री

जम्मू: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने आतंकवाद, सामाजिक चुनौतियों और युवाओं में बढ़ते अपराध पर चिंता व्यक्त की। उन्‍होंने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म या आस्था से जोड़ना बेहद गलत है।

उन्‍होंने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा कि गलत काम करने वाला चाहे डॉक्टर हो या कोई अन्य प्रोफेशन से जुड़ा व्यक्ति, उसके अपराध की जिम्मेदारी पूरी कम्युनिटी पर नहीं डाली जा सकती।

सुरिंदर कुमार चौधरी ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई डॉक्टर अपराध या उग्रवाद में शामिल पाया जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि पूरा समुदाय दोषी है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सबसे अधिक पीड़ा उस परिवार को होती है जिसने अपने बच्चे को डॉक्टर बनाने का सपना देखा है। सोचिए उन माता-पिता पर क्या गुजरती होगी?

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि जम्मू में कई बच्चे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं और कई अपराध की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन परिवारों को इसकी जानकारी तक नहीं होती। उन्होंने कहा कि उग्रवाद किसी धर्म से नहीं जुड़ा है और देशद्रोह करने वालों का न कोई धर्म होता है, न कोई मजहब।उनका उद्देश्य केवल विनाश होता है।

नौगाम में हाल ही में हुए धमाके का उल्लेख करते हुए चौधरी ने कहा कि बिना किसी वजह के निर्दोष लोगों की जान चली गई, जबकि उन्हें यह तक नहीं पता था कि क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है कि हथियार और विस्फोटक इतनी आसानी से संवेदनशील इलाकों तक पहुंच जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सिविल सोसाइटी, बुद्धिजीवी वर्ग और मीडिया की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि यदि कॉलेजों में पढ़ने वाले युवा, जिन्हें डॉक्टर या अन्य सम्मानित पेशेवर बनना है, उग्रवादी गतिविधियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, तो यह न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए खराब संकेत है। उन्होंने कहा कि एजेंसियों को ऐसे युवाओं की पहचान कर शुरुआती दौर में ही उन्हें रोकने की जरूरत है।

उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने फिल्म इंडस्ट्री पर भी टिप्पणी की और कहा कि हिंसा और मारधाड़ वाली फिल्मों का प्रभाव समाज पर नुकसानदायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री को धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक फिल्मों को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि पैसे कमाने की दौड़ में संस्कृति और मूल्य पीछे छूटते जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज और राष्ट्रहित के लिए फिल्म उद्योग को सकारात्मक और प्रेरक कंटेंट की ओर ध्यान देना चाहिए।

--आईएएनएस

 

 

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