ससुराल वालों ने ठुकराया तो 'जीविका' से मिला सहारा, बेगूसराय की नीलू बनीं 'नजीर'

जीविका से बदली नीलू की दुनिया, प्रताड़ना से आत्मनिर्भरता तक का प्रेरक सफर
ससुराल वालों ने ठुकराया तो 'जीविका' से मिला सहारा, बेगूसराय की नीलू बनीं 'नजीर'

बेगूसराय: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास और महिलाओं की इच्छाशक्ति ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया है और इसमें 'जीविका' योजना की बड़ी भूमिका रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण के निरंतर प्रयास और महिलाओं की सजगता ने उनकी जिंदगी में बड़े और अहम बदलाव किए हैं। इसका ताजा उदाहरण बिहार के बेगूसराय जिले का है जहां ससुराल से निकाली गई एक महिला के लिए जीविका योजना एक बड़े सहारे के रुप में सामने आई है और इस योजना के माध्यम से उसकी जिंदगी में बदलाव आया है।

बेगूसराय जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूर पचंबा है। कुछ दिनों पहले तक यह सिर्फ एक गांव था। लेकिन अब पचंबा 'जीविका दीदी' के सशक्तिकरण का बड़ा केंद्र बन गया है। यहां शुरू किए गए जीविका सिलाई घर ने महिलाओं को संबल बनाया है।

ऐसी ही एक महिला नीलू है। इनका पति शराबी है, ससुराल वालों ने भी प्रताड़ित किया तो महिला अपने मायके में रहने आ गई। ससुराल में प्रताड़ित होने के कारण वह परेशान थी। लेकिन अब जीविका के सिलाई घर से वह न केवल आत्मनिर्भर हो गई है बल्कि आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर है।

बेगूसराय जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित सरौंजा गांव की रहने वाली नीलू कुमारी ने बताया कि, उसकी शादी भागलपुर जिले के आशा टोल गांव निवासी चंदन कुमार शर्मा के साथ 2010 में हुई थी। शादी के समय चंदन शर्मा के परिवार वालों ने बताया था कि लड़का टावर लगाने वाली कंपनी में काम करता है। शादी के बाद पता चला कि उसका पति कोई-काम धंधा नहीं करता है और शराबी है।

ससुराल वालों ने झूठ बोलकर शादी कराई थी। शादी के बाद से ही उनके पति चंदन कुमार शर्मा नशे की हालत में हमेशा नीलू के साथ मारपीट करते रहता था। नीलू को दो बेटी है, बेटा नहीं होने की वजह से उसे पति के साथ-साथ ससुराल वालों की प्रताड़ना भी सहनी पड़ती थी। नीलू बताती हैं कि ससुराल वाले उनकी दोनों बेटियों को पढ़ने के लिए स्कूल भी नहीं भेजते थे और न ही सही ढंग से खाने-पीने के लिए देते थे।

ससुराल वालों से परेशान नीलू ने अलग राह चुनी और ससुराल में ही 'मुस्कान जीविका' से जुड़ीं। पति ने वहां भी उन्हें परेशान किया। इस वजह से नीलू पिछले दो वर्षों से अपने पिता के घर सरौंजा गांव में रहने लगी और यहीं पर वह जीविका से जुड़कर सिलाई कढ़ाई का काम करते हुए अपनी बच्चियों का भविष्य संवार रही है।

नीलू कुमारी ने बताया कि जीविका से जुड़ने के पहले उन्हें आर्थिक परेशानी से गुजरना पड़ता था लेकिन आज वह खुद अपनी पैरों पर खड़ी है। नीलू जैसी सैकड़ों महिलाओं का जीवन जीविका से जुड़ने के बाद पूरी तरह से बदल गया है।

--आईएएनएस

 

 

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