श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण प्रभावित हुआ जनजीवन अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। खासकर सैकड़ों रास्ते, जो पूरी तरह अवरुद्ध हो चुके थे, दुरुस्त कर दिए गए हैं। रियासी और रामबन जिलों में अभी रास्ते बंद होने पर लोकल पैसेंजर ट्रेन चलाने का फैसला भी लिया गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "लगातार बारिश और अचानक आई बाढ़ के चलते जम्मू-कश्मीर के रियासी और रामबन जिलों में सड़क संपर्क बुरी तरह प्रभावित है। ऐसे में फंसे हुए यात्रियों को राहत देने के लिए 8 सितंबर से 12 सितंबर तक 5 दिनों के लिए श्री माता वैष्णो देवी कटरा स्टेशन से संगलदान स्टेशन तक दो पैसेंजर ट्रेन सेवा चलाने का निर्णय लिया है।"
उन्होंने पोस्ट में लिखा, "यह ट्रेन सेवा रियासी, बक्कल और दुग्गा स्टेशनों के रास्ते संचालित होगी और फंसे यात्रियों को तुरंत राहत प्रदान करेगी। इसके अलावा, यह सेवा तब तक एक जीवनरेखा के रूप में काम करेगी जब तक कि सड़क संपर्क पूरी तरह से बहाल नहीं हो जाता।"
डोडा जिले की वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-244 पर भूस्खलन के बाद हुए मलबे को हटा दिया गया है और अब यह मार्ग यातायात के लिए खोल दिया गया है। इसके अलावा, लिंक रोड भी बहाल हो चुके हैं, जिनसे दूरस्थ इलाकों के हजारों लोग फिर से मुख्यधारा से जुड़ गए हैं।
जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि जलापूर्ति की स्थिति भी सुधर रही है। 21 योजनाएं पूरी तरह से कार्यरत हैं, 188 आंशिक रूप से और 4 अस्थायी रूप से चालू हैं। बिजली आपूर्ति के मोर्चे पर भी तेजी से काम हो रहा है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने जानकारी दी कि सभी 33 केवी लाइनें अब पूरी तरह से कार्यरत हैं और अधिकांश 11 केवी फीडर और वितरण ट्रांसफार्मरों को बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि खराब मौसम के चलते प्रभावित क्षेत्रों में जरूरी राशन सामग्री भी पहुंचाई जा रही है।
इसके अलावा, केंद्रीय राज्य मंत्री ने कठुआ जिले के हालातों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कठुआ के बसोहली-बनी मार्ग पर स्थित टिकरी मोड़ (बसोहली से 47 किमी दूर) पर लगातार बारिश के कारण सड़क का एक बड़ा हिस्सा बहकर पूरी तरह नष्ट हो गया था, जिससे सड़क पर एक बड़ा अंतराल आ गया था और यातायात पूरी तरह से ठप हो गया था। इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सीमा सड़क संगठन ने खराब मौसम और दुर्गम भू-भाग के बावजूद एक नया बाईपास मार्ग तैयार करने का चुनौतीपूर्ण कार्य शुरू किया। जोखिम भरे हालात में मशीनों और कर्मियों ने साहसिक प्रयासों के साथ वैकल्पिक मार्ग का निर्माण किया।