सशस्त्र बलों में संयुक्तता बढ़ावा देने के लिए नियम अधिसूचित किए गए

अधिनियम लागू, अब सेना के कमांडरों को मिलेगा अनुशासन और संचालन पर अधिक नियंत्रण।
सशस्त्र बलों में संयुक्तता बढ़ावा देने के लिए नियम अधिसूचित किए गए

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम 2023 के तहत बनाए गए नियमों को अधिसूचित कर दिया है। ये नियम 27 मई 2025 से प्रभाव में आ गए हैं। इस अहम कदम का उद्देश्य सशस्त्र बलों के विभिन्न अंगों (थलसेना, वायुसेना व नौसेना) के बीच बेहतर तालमेल, कमांड दक्षता और अनुशासन को सुनिश्चित करना है।

इससे तीनों सैन्य बलों थलसेना, वायुसेना व नौसेना के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा। साथ ही तीनों सैन्य बल अधिक कुशलता से विभिन्न ऑपरेशन को अंजाम देंगे। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सशस्त्र बलों के बीच बेहतरीन समन्वय देखने को मिला था। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह अधिनियम संसद के मानसून सत्र 2023 के दौरान दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था और 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद लागू हुआ।

 

अधिसूचना के अनुसार, यह अधिनियम 10 मई 2024 से प्रभाव में आया। बाद में, 27 दिसंबर 2024 को गजट अधिसूचना संख्या एसआरओ 72 के माध्यम से इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस (आईएसओ) को अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम के तहत, इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उनके अधीन सेवा कर रहे सशस्त्र बलों के कर्मियों पर कमांड और नियंत्रण का अधिकार प्राप्त होता है।

 

इसका उद्देश्य अनुशासन और प्रशासन की प्रभावी देखरेख करना है, जबकि प्रत्येक सेवा शाखा की विशिष्ट सेवा शर्तों को बिना बदले बनाए रखा गया है। नवीन रूप से अधिसूचित ये नियम अधिनियम की धारा 11 के तहत बनाए गए हैं। ये नियम अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तैयार किए गए हैं। ये नियम सेना के अनुशासन, प्रशासनिक नियंत्रण एवं संचालनात्मक समन्वय की एक समग्र रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं।

 

इन नियमों के अधिसूचित होने के साथ ही अब यह अधिनियम पूर्ण रूप से लागू हो गया है। इससे इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस के प्रमुखों को अधिकार मिलेंगे। यही नहीं, अब अनुशासनात्मक मामलों के त्वरित निपटान में मदद मिलेगी और मामलों की सैन्य बलों की जांच में दोहराव की प्रक्रिया से बचा जा सकेगा। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह पहल भारत के सशस्त्र बलों की एकीकृत कार्यप्रणाली को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

 

 

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