Shaurya Diwas Celebration : सेना प्रमुख ने तीन पुस्तकों का अनावरण किया, शौर्य और नवाचार का प्रतीक बताया

शौर्य दिवस पर सेना प्रमुख ने वीरता और नवाचार पर आधारित तीन पुस्तकें जारी कीं
शौर्य दिवस 2025 : सेना प्रमुख ने तीन पुस्तकों का अनावरण किया, शौर्य और नवाचार का प्रतीक बताया

नई दिल्ली: शौर्य दिवस 2025 समारोह के अवसर पर थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने वीरता, नवाचार और बलिदान को रेखांकित करते हुए तीन विशिष्ट पुस्तकों का अनावरण किया। ये पुस्तकें भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास, आत्मनिर्भरता और सैनिकों के अदम्य साहस को दर्शाती हैं।

समारोह में सेना के शौर्य और मातृभूमि के लिए समर्पण को सम्मानित किया गया।

पहली पुस्तक, 'सर्प विनाश', 2003 में जम्मू-कश्मीर के सुरनकोट में रोमियो फोर्स द्वारा संचालित ऐतिहासिक आतंकवाद-रोधी अभियान, ऑपरेशन सर्प विनाश की कहानी बयान करती है। तत्कालीन मेजर जनरल लिद्दर की कमान में यह अभियान आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की रणनीतिक कुशलता का प्रतीक है। जयश्री लक्ष्मीकांत द्वारा लिखित, यह पुस्तक एक अनुभवी सैनिक की संचालन संबंधी अंतर्दृष्टि और लेखिका की कहानी कहने की कला का शानदार मिश्रण है। यह पुस्तक सेना के दृढ़ संकल्प और जटिल परिस्थितियों में उनकी सफलता को उजागर करती है।

दूसरी पुस्तक, 'बिटिंग द सिल्वर बुलेट', गोला-बारूद के विज्ञान और डिजाइन पर केंद्रित है। संजय सोनी द्वारा लिखित और चैताली बाग द्वारा संपादित यह पुस्तक भारत की 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड' पहल को रेखांकित करती है। यह रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक और नवाचार के महत्व को दर्शाती है, जो भारत को वैश्विक रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने की दिशा में एक कदम है। पुस्तक में गोला-बारूद के डिजाइन और उत्पादन में तकनीकी प्रगति को सरल भाषा में समझाया गया है।

तीसरी पुस्तक, 'पैरा कमांडो', दीपक सुराना द्वारा लिखित, 9 पैराशूट बटालियन (विशेष बल) के कैप्टन अरुण सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि है। कैप्टन सिंह, जो थल सेना प्रमुख के पूर्व सहायक कमांडिंग ऑफिसर (एडीसी) थे, ने कश्मीर में अपने साथियों के साथ फिर से जुड़ने का फैसला किया। एक भीषण मुठभेड़ में उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया और मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित हुए। यह पुस्तक उनके साहस, नेतृत्व और देश के प्रति समर्पण को जीवंत करती है।

जनरल द्विवेदी ने इन पुस्तकों को सेना के शौर्य और नवाचार का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "ये पुस्तकें न केवल हमारे सैनिकों की वीरता को दर्शाती हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करती हैं।" समारोह में उपस्थित सैन्य अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों ने इन रचनाओं की सराहना की।

 

 

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