India Defence Production : चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन 1.75 लाख करोड़ रुपए ले जाने का लक्ष्य

भारत का रक्षा उत्पादन नई ऊंचाई पर, 2029 तक 3 लाख करोड़ का लक्ष्य
चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन 1.75 लाख करोड़ रुपए ले जाने का लक्ष्य

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक का सर्वाधिक 1.54 लाख करोड़ रुपए का रक्षा उत्पादन किया गया है। वहीं भारत का चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन को 1.75 लाख करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य है। केंद्र सरकार के मुताबिक वह यह लक्ष्य हासिल करने की राह पर है। इसके साथ ही सरकार ने 2029 तक रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इससे देश स्वयं को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर सकेगा।

केंद्र सरकार के मुताबिक यह आत्मनिर्भर भारत की ताकत का प्रमाण है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीप-टेक एवं अत्याधुनिक परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने हेतु 500 करोड़ रुपए के विशेष कोष को मंजूरी दी है। यह पहल शिक्षा जगत, स्टार्टअप्स और उद्योगों के बीच सीधा सहयोग स्थापित कर रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बना रही है। आयुध कारखानों का पुनर्गठन और सात नई रक्षा कंपनियों का गठन कार्यात्मक स्वायत्तता बढ़ाने, दक्षता सुधारने और आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। निजी क्षेत्र रक्षा उद्योग में ड्रोन, एवियोनिक्स और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार लगभग 16,000 एमएसएमई देश के रक्षा नवाचार परिदृश्य में गेम-चेंजर के रूप में उभर रहे हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार साल 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया गया है। इन गतिविधियों का उद्देश्य सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत, युद्ध के लिए तैयार बल में बदलना है, जो मल्टी-डोमेन एकीकृत संचालन में सक्षम हो। साथ ही रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाना और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपए के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करना है। भारत का स्वदेशी रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1,27,434 करोड़ रुपए पहुंचा है। यह वर्ष 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपए की तुलना में 174 प्रतिशत की वृद्धि है।

यह ऐतिहासिक उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत नीति और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली सशक्त नीतिगत पहलों का परिणाम मानी जा रही है। वर्तमान में भारत अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया सहित 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। कुल रक्षा उत्पादन में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान लगभग 77 प्रतिशत है, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान 23 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पिछले दशक में आरंभ किए गए नीतिगत सुधारों से पहले भारत का रक्षा क्षेत्र अनेक संरचनात्मक चुनौतियों से जूझ रहा था।

रक्षा खरीद प्रक्रियाएं अत्यंत धीमी थीं, जिसके कारण आवश्यक क्षमताओं में गंभीर परेशानियां उत्पन्न हो रही थीं। अत्यधिक आयात निर्भरता ने न केवल देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ाया, बल्कि वैश्विक अस्थिरता के समय भारत की सामरिक कमजोरियों को भी उजागर किया। निजी क्षेत्र की भागीदारी नगण्य थी। परिणामस्वरूप, रक्षा निर्यात का स्तर अत्यंत निम्न रहा था। बीते एक दशक में सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए एक आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग के निर्माण हेतु कई सुधार शुरू किए हैं।

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) में सुधार किए हैं। रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 एक परिवर्तनकारी नीतिगत ढांचा है। यह नीति देरी तथा आयात पर अत्यधिक निर्भरता जैसी पुरानी चुनौतियों को दूर करने हेतु तैयार की गई है। अधिग्रहण के प्रत्येक चरण में स्पष्टता, पारदर्शिता एवं स्वदेशी नवाचार को केंद्र में रखती है।

रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम) 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अक्टूबर 2025 में डीएपी ढांचे के आधार पर शुरू किया था। यह प्रक्रियाओं को सरल बनाने और कार्यप्रणाली में एकरूपता स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह नियमावली सशस्त्र बलों को परिचालन तत्परता के लिए आवश्यक लगभग 1 लाख करोड़ रुपए मूल्य के उपकरणों और सेवाओं की समयबद्ध उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगी। 1 नवंबर, 2025 से प्रभावी, डीपीएम 2025 में कई उद्योग-अनुकूल सुधार सम्मिलित किए गए हैं। इनका उद्देश्य रक्षा खरीद प्रक्रिया में निष्पक्षता, पारदर्शिता, जवाबदेही और घरेलू उद्यमों की सक्रिय भागीदारी को सुदृढ़ बनाना है।

वहीं व्यापार सुगमता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से, सभी सशस्त्र बलों एवं रक्षा मंत्रालय के संगठनों में प्रक्रियाओं का मानकीकरण किया गया है, जिससे अनावश्यक देरी को न्यूनतम किया जा सके। रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने हाल के वर्षों में रिकॉर्ड मात्रा में स्वदेशी खरीद को मंजूरी दी है। मार्च 2025 में, डीएसी ने 54,000 करोड़ रुपए से अधिक के आठ पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी। जुलाई 2025 में, डीएसी ने लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 10 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी।

--आईएएनएस

 

 

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