नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान की मुसीबत कम नहीं हो रही है भारत आए दिन उस पर पानी से लेकर डाक भेजने तक बैन लगा रहा है जिससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और उसके नेता गिदड़भभकी दे रहे हैं। भारत ने सिंधु जल संधि तोड़ने का फैसला पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। आशंका जताई जा रही हैं कि इसका बड़ा असर पाकिस्तानी में बोई जाने वाली खरीफ सीजन में पड़ेगा पानी नहीं मिलने से फसलें सूख जाएंगी, जिससे लोगों को पानी के साथ खाने के लिए परेशान होना पड़ सकता है। पाकिस्तान में पानी की 20 फीसदी से ज्यादा की कमी हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी की एडवाइजरी कमेटी ने शुरुआती खरीफ सीजन में पाकिस्तान में पानी की 21 फीसदी कमी होने की आशंका जताई है। इसकी वजह चिनाब नदी के पानी में अचानक कमी आना है। इसके अलावा भारत ने चिनाब नदी पर सलाल और बगलीहार डैम के गेट बंद कर दिए हैं, जिसके चलते जलस्तर काफी कम हो गया और पाकिस्तान जाने वाला पानी के बहाव पर असर पड़ा है।
अब खबरें ये भी सामने आ रही है कि केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ किशनगंगा बांध पर भी इसी तरह का कदम उठा सकता है। आईआरएसए की सलाहकार समिति की बैठक हुई थी। उस दौरान मई से लेकर सितंबर 2025 तक खरीफ सीजन की तैयारी को लेकर चर्चाएं की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिग आईआरएसए ने कहा कि सिंधु नदी सलाहकार समिति ने खरीफ के शुरुआती सीजन के महीने मई-10 जून और खरीफ के अंत 11 जून-सितंबर में जल की स्थिति की समीक्षा की है, जिसमें कहा गया है, इस बात पर चिंता जताई जा रही है कि मराला में भारत की तरफ से सप्लाई रोके जाने के बादचिनाब नदी में बहाव में अचानक कमी आने के चलते शुरुआती खरीफ सीजन में पानी की ज्यादा कमी हो सकती है।
समिति ने चिनाब नदी में जल आपूर्ति सामान्य रहने की स्थिति में शुरुआती खरीफ सीजन के दौरान कुल 21 फीसदी कमी की घोषणा की है। स्थिति की समीक्षा की जा रही है। अगर चिनाब नदी में पानी ऐसे ही घटता रहा तो कमी में और इजाफा होगा। बगलीहार और सलाल बांध में गेट बंद किए जाने से अखनूर में जलस्तर में काफी कमी आ गई है, जिससे लोगों में पानी के लिए हाहाकार मच सकता है।
भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने सियाल और बगलिहार बांधों के गेट बंद करने से पाकिस्तान में जल संकट पैदा हो गया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित 24 प्रमुख शहरों में पानी की भारी किल्लत का खतरा मंडरा रहा है, जिससे करीब 3 करोड़ लोग प्रभावित हो सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि चिनाब नदी का जल स्तर 22 फीट से घटकर 15 फीट रह गया है और यदि यही स्थिति रही तो 4 दिनों में पीने के पानी का संकट गहरा सकता है। फैसलाबाद और हाफिजाबाद जैसे शहरों में करीब 80 फीसदी आबादी चिनाब के पानी पर ही निर्भर है। सिंधु जल प्राधिकरण ने चेतावनी दी है कि भारत के इस कदम से पाकिस्तान में खरीफ की फसलों को मिलने वाले पानी में 21 फीसदी की कटौती हो सकती है। इस मुद्दे पर पाकिस्तान की संसद में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई सांसदों ने इसे जल-आधारित युद्ध छेड़ने की कार्रवाई बताया है।
सोमवार को रियासी जिले में स्थित सलाल डैम के गेट भी बंद कर दिए गए। इसके अलावा अब भारत की योजना कश्मीर में किशनगंगा डैम के जरिए झेलम नदी का प्रवाह रोकने की भी बताई जा रही है। इस पूरे घटनाक्रम ने भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सिंधु जल संधि को लेकर भविष्य में गंभीर कूटनीतिक टकराव का कारण बन सकता है।