नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। इस दौरान राज्यसभा में बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम रोज सदन में मुद्दा उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश के हित में यह काफी महत्वपूर्ण विषय है। खड़गे मतदाता सूची से संबंधित मामले पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। आसन पर मौजूद भुबनेश्वर कालिता ने खड़गे से कहा कि वे केवल संबंधित बिल पर ही अपनी बात रखें। इसके बाद विपक्षी सांसद कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए सदन से बाहर चले गए।
वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि गलत सूचना के आधार पर विपक्ष के लोग विरोध कर रहे हैं। संसद चलने नहीं देते। गरीबों के टैक्स के पैसे से यह संसद चलती है। किस विषय को ये छुपाना चाहते हैं? किस मुद्दे पर विपक्ष चर्चा चाहता है? इन्होंने एक सीएसडीएस नामक स्वयंसेवी संस्था के किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए आंकड़े को मुद्दा बनाया। सीएसडीएस के एक व्यक्ति ने महाराष्ट्र चुनाव से जुड़ा एक गलत आंकड़ा जानबूझकर भ्रम फैलाने के लिए साझा किया। इस गलत आंकड़े को विपक्ष ने मुद्दा बनाया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोग इस भ्रामक व गलत डेटा के आधार पर अपना विरोध कर रहे हैं। आंकड़े जारी करने वाले संस्थान सीएसडीएस ने जारी किए गए आंकड़े के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। संस्थान ने कहा है कि वे आंकड़े गलत थे और उन्हें वापस ले लिया गया है। बावजूद इसके विपक्ष उन्हीं आंकड़ों को मुद्दों व आधार बनाकर हंगामा कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आईसीएसएसआर द्वारा सीएसडीएस को अनुसंधान के लिए अनुदान दिया गया है। भारत सरकार से पैसा लेकर भारत के संवैधानिक सिस्टम को चुनौती देना यह सही बात नहीं है। यही कारण है कि अब आईसीएसएसआर ने सीएसडीएस के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।
गौरतलब है कि विपक्ष के सांसद संसद के भीतर और संसद के बाहर लगातार मतदाता सूची का मुद्दा उठा रहे हैं। विपक्ष ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के लिए किए जा रहे गहन रिव्यू को एक मुद्दा बनाया है। विपक्ष लगातार संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है। उधर, बीते दिनों सीएसडीएस से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से संबंधित कुछ आंकड़े सार्वजनिक किए थे। जारी किए गए इन आंकड़ों को भी विपक्ष ने मुद्दा बनाया, लेकिन अब इन आंकड़ों को वापस ले लिया गया है। साथ ही, आंकड़े जारी करने वाली संस्था ने स्वयं माना है कि जारी किए गए आंकड़े भ्रामक और गलत थे।