नई दिल्ली: उत्तराखंड के धराली-हर्षिल क्षेत्र में अचानक बाढ़ व उसके साथ आए मलबे (फ्लैश फ्लड) के कारण घाटी पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गई है। भूस्खलन से भी यहां बड़ा नुकसान हुआ है। भूस्खलन के कारण कई महत्वपूर्ण मार्ग टूट गए, जिससे यह इलाका अन्य क्षेत्रों से कट गया है।
इस आपदा के बाद भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने तेजी से मोर्चा संभालते हुए राहत और बचाव कार्यों की शुरुआत की है। वायुसेना के एयरबेस और विमान हाई अलर्ट पर रखे गए हैं। वहीं बरेली और आगरा से वायुसेना के विमान और हेलीकॉप्टर राहत कार्य में जुटे हैं। वायुसेना के मुताबिक बरेली एयरबेस पर तैनात एमआई-17 और एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टरों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इसके अलावा, आगरा से रवाना हुए वायुसेना के एएन-32 और सी-295 सैन्य परिवहन विमानों ने देहरादून में लैंडिंग की है, जिससे राहत सामग्री और बचावकर्मियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सके। आगरा और बरेली के वायुसेना स्टेशनों को बीती रात ही सक्रिय कर दिया गया। इसके बाद वायुसेना के इन स्टेशनों से तेजी से राहत सामग्री की लोडिंग की गई। साथ ही, भारतीय वायुसेना और भारतीय थल सेना की संयुक्त बचाव टीमों को मिशन के लिए तैयार किया गया। राहत और बचाव कार्यों के लिए आवश्यक उपकरण, खाद्य सामग्री, चिकित्सा सहायता और संचार साधनों की व्यवस्था की गई है।
वायु सेना के इस अभियान में मौसम भी एक बड़ी चुनौती बना, बावजूद इसके वायुसेना के विमान राहत व बचाव के इस मिशन में अपनी भूमिका सही समय पर निभाने के लिए पहुंचे। वायुसेना के मुताबिक सुबह के समय घना कोहरा और मूसलधार बारिश के कारण उड़ानों में बाधा उत्पन्न हो रही थी, लेकिन जैसे ही मौसम में थोड़ी बहुत सुधार आया, वायुसेना ने इस छोटे से अवसर का भरपूर उपयोग करते हुए उड़ानें शुरू कर दीं। यह पूरी तरह से एक संयुक्त नागरिक-सैन्य अभियान है। यह राहत कार्य भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना द्वारा चलाया जा रहा एक संयुक्त नागरिक-सैन्य अभियान है, जिसका उद्देश्य हर प्रभावित व्यक्ति तक समय रहते सहायता पहुंचाना है।
हेलीकॉप्टरों के माध्यम से न केवल राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, बल्कि फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भी पहुंचाने में मदद मिल सकेगी। भारतीय वायुसेना ने स्पष्ट किया है कि जब तक अंतिम व्यक्ति को सुरक्षित नहीं किया जाता और हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक राहत अभियान जारी रहेगा। वायुसेना का कहना है कि वह पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है कि हरसंभव सहायता और सहयोग प्रभावित नागरिकों को प्रदान किया जाए।
गौरतलब है कि मंगलवार अगस्त की दोपहर लगभग 1 बजकर 45 मिनट पर धराली गांव के पास भूस्खलन की घटना हुई। यह स्थान हर्षिल स्थित भारतीय सेना के शिविर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। इस घटना में सेना के भी कुछ जवान लापता हैं। सेना लगातार उनकी तलाश करने में जुटी हुई है। वहीं टूट चुके मार्गों को भी जल्द बहाल करने की कोशिश की जा रही है।