Gujarat CM Bhupendra Patel : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' पर शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि दी

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर सीएम भूपेंद्र पटेल ने वनकर्मियों को श्रद्धांजलि दी
गुजरात : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' पर शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि दी

गांधीनगर: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' के अवसर पर गुरुवार को वन क्षेत्रों के संरक्षण और वन्य जीवन की रक्षा में जीवन न्योछावर करने वाले बहादुर वन कर्मचारियों को याद किया। उन्होंने गांधीनगर स्थित राज्य के पहले 'वन स्मारक' पर शहीद वनकर्मियों को श्रद्धांजलि दी।

साल 2013 से हर बार 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है, ताकि वन रक्षकों, क्षेत्रीय वन अधिकारियों और वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की शहादत को सम्मान दिया जाए, जिन्होंने कर्तव्य निभाते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया। इसी क्रम में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल गुरुवार को गांधीनगर के सेक्टर 30 स्थित वन जागरूकता केंद्र में बने राज्य के पहले 'वानिकी स्मारक' पर पहुंचे। भूपेंद्र पटेल ने गुजरात राज्य में अपने प्राणों की आहुति देने वाले 9 शहीद वनकर्मियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस मौके पर राज्य के पर्यटन, वन व पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वन क्षेत्रों के संरक्षण और वन्य जीवन की रक्षा में अपनी जिंदगी खोने वाले वनकर्मियों के लिए 'शहीद स्मारक' बना है। गुरुवार को मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने शहीद वनकर्मियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया है।

इसके अलावा, गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "प्रकृति का अभिन्न अंग वन सभी जीवों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह दिन उन वन शहीदों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है, जिन्होंने वन क्षेत्रों की प्राकृतिक संपदा और संपूर्ण वन्य जीवन की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।"

पोस्ट में आगे कहा गया, "मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार वन क्षेत्रों के संरक्षण और विकास के लिए प्रतिबद्ध है और 'वानिकी स्मारक' का निर्माण करके वनकर्मियों के साहस, शौर्य और बलिदान की स्मृति को जीवंत रखा गया है। आइए हम सभी वनों और वन्य जीवन की रक्षा करने वाले वीर वनकर्मियों के योगदान और बलिदान की सराहना करें और प्रकृति के इस अनमोल उपहार के संरक्षण के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील बनें।"

 

 

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