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जयपुर, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। राजस्थान पुलिस ने बुधवार को कहा कि साइबर अपराधियों ने वाहन मालिकों को फर्जी ट्रैफिक चालान संदेश भेजकर ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक नया तरीका ईजाद किया है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (साइबर अपराध), विजय कुमार सिंह ने कहा कि जालसाज गैर-सरकारी नंबरों से भ्रामक संदेश भेज रहे हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि प्राप्तकर्ताओं पर यातायात नियमों के उल्लंघन के जुर्माने लंबित हैं।
एडीजी सिंह ने बताया कि ये मैसेज पाने वालों पर तत्काल भुगतान करने का दबाव डालते हैं और इस तरह की चेतावनी दी जाती है: रिमाइंडर: यातायात उल्लंघन का जुर्माना बाकी है। अतिरिक्त जुर्माने या कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए तुरंत भुगतान करें।
उन्होंने कहा कि एसएमएस में एक फर्जी लिंक शामिल है, और एक बार जब उपयोगकर्ता उस पर क्लिक करता है और भुगतान करने का प्रयास करता है तो उसके बैंक खाते के हैक होने का बहुत ज्यादा खतरा होता है।
उन्होंने आगे कहा कि साइबर क्राइम ब्रांच ने लोगों को धोखाधड़ी वाली वेबसाइटों को पहचानने में मदद करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि धोखेबाज अक्सर सरकारी वेबसाइटों से मिलते-जुलते डोमेन बनाते हैं- उदाहरण के लिए जीओवी डॉट इन की जगह जीओवीटी डॉटइन या एनआईसी डॉटइन की जगह आईएनसी डॉटइन का इस्तेमाल करते हैं। असली सरकारी पोर्टल आमतौर पर जीओवी डॉट इन, डॉटएनआईसी डॉटइन या डॉट ओआरजी डॅाटइन डोमेन का इस्तेमाल करते हैं। अचानक पॉप-अप मैसेज आना जो यूजर्स को पेमेंट या खास स्कीम के लिए क्लिक करने को कहा जाता है, धोखाधड़ी का एक मजबूत संकेत है।
उन्होंने आगे कहा कि विभाग ने जनता से अज्ञात नंबरों से एसएमएस के माध्यम से प्राप्त लिंक पर क्लिक न करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा, "नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे कभी भी बैंकिंग पासवर्ड, ओटीपी या व्यक्तिगत विवरण किसी के साथ साझा न करें, और न ही ऐसे संदिग्ध संदेशों में दिए गए नंबरों पर कॉल करें।"
उन्होंने कहा कि पुलिस ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि साइबर जागरूकता इस तरह के घोटालों के खिलाफ सबसे मजबूत बचाव है।
उन्होंने कहा, "यदि आपको धोखाधड़ी का सामना करना पड़े या कोई संदिग्ध संदेश प्राप्त हो, तो तुरंत कार्रवाई करें।"
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें, या साइबर हेल्प डेस्क से संपर्क करें।
उन्होंने कहा, "शिकायतें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से या निकटतम पुलिस स्टेशन/साइबर पुलिस स्टेशन में भी दर्ज कराई जा सकती हैं।
--आईएएनएस
एएसएच/डीकेपी