DRDO Initiative: डीआरडीओ और उद्योगों के बीच सहयोग से रक्षा क्षेत्र में नई तकनीकी उन्नति को मिलेगा बढ़ावा: डॉ. बीके दास

डीआरडीओ ने उद्योगों संग मिलकर रक्षा तकनीक में नवाचार की नई राह खोली।
डीआरडीओ और उद्योगों के बीच सहयोग से रक्षा क्षेत्र में नई तकनीकी उन्नति को मिलेगा बढ़ावा: डॉ. बीके दास

बेंगलुरु:  बेंगलुरु में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हाल ही में उद्योगों के साथ मिलकर एक नया कदम उठाया है, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और सहयोग की दिशा को बदल सकता है।

इस पहल के तहत, डीआरडीओ ने 200 से अधिक उद्योगों को एक मंच पर लाकर उनके बीच विचारों का आदान-प्रदान और तालमेल स्थापित करने का प्रयास किया है। इसके माध्यम से रक्षा क्षेत्र में नई तकनीकी उन्नति और उत्पादन प्रक्रिया को तेजी से बढ़ावा दिया जा सकता है।

डीआरडीओ में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणाली (ईसीएस) के महानिदेशक (डीजी) डॉ. बीके दास ने डीआरडीओ इंडस्ट्री सिनर्जी मीट 2025 में इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा, "हमारा उद्देश्य उद्योगों को सक्षम और शिक्षित करना है ताकि वे न केवल बड़े पैमाने पर उत्पाद बना सकें, बल्कि उनकी गुणवत्ता और विविधता में भी वृद्धि हो।"

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डीआरडीओ न केवल अपनी तकनीक और विचारों को उद्योगों तक पहुंचाता है, बल्कि उन्हें इन तकनीकों को और बेहतर बनाने के लिए प्रेरित भी करता है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में नए, अधिक सक्षम और उन्नत उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया को तेजी से गति देना है।

उन्होंने कहा कि इसके तहत डीआरडीओ और उद्योगों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि दोनों के बीच तालमेल बढ़ सके और तकनीकी नवाचारों का फायदा सशस्त्र बलों को सीधे मिल सके। इसके साथ ही, डॉ. दास ने यह भी बताया कि डीआरडीओ ने आगामी पांच वर्षों के लिए एक स्पष्ट तकनीकी रोडमैप तैयार किया है, जिसके माध्यम से भारत रक्षा क्षेत्र में तकनीकी नेतृत्व स्थापित करेगा।

भारत में क्वांटम तकनीक, संज्ञानात्मक प्रणाली और फोटोनिक सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर तेजी से काम हो रहा है।

डॉ. दास ने कहा, "क्वांटम कंप्यूटिंग और अन्य नवीनतम तकनीकों के क्षेत्र में भारत की प्रगति दुनिया भर में देखी जा रही है। यह एक नई दिशा है, जहां हम अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को चुनौती देने की स्थिति में हैं।" इसके अलावा, डीआरडीओ ने अपने कार्यक्रमों में जीवन विज्ञान और अन्य सहायक प्रणालियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। जैसे कि, गगनयान मिशन के लिए विशेष खाद्य उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का विकास किया गया है।

डॉ. दास ने बताया कि यह तकनीकी नवाचारों का उद्देश्य न केवल रक्षा बलों की ताकत को बढ़ाना है, बल्कि भविष्य में अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में भी भारत को अग्रणी बनाना है।

डीआरडीओ ने इस बारे में भी बात की कि वे पारंपरिक युद्धकला से आगे बढ़कर असिमैटिक युद्धकला और तकनीकी युद्धकला की ओर बढ़ रहे हैं। ये परिवर्तन भारतीय सशस्त्र बलों के लिए नई रणनीतियां और उपकरण लाएंगे। आखिरकार, डीआरडीओ का यह कार्यक्रम रक्षा क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और उद्योगों के सहयोग का एक नया अध्याय खोलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इसके माध्यम से न केवल भारतीय सेना को अत्याधुनिक हथियार और प्रणालियां मिलेंगी, बल्कि भारत भी वैश्विक मंच पर एक मजबूत तकनीकी ताकत के रूप में उभरेगा।

 

 

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