बेंगलुरु: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने गणेश चतुर्थी के अवसर पर सभी को बधाई भी दी।
शिवकुमार ने आरएसएस गाना विवाद पर कहा, "कुछ दिन पहले विधानसभा में भगदड़ की घटना के संदर्भ में मैंने कुछ पंक्तियां कही थीं। मेरा इरादा किसी की तारीफ करना नहीं था, बल्कि मैंने सिर्फ टिप्पणी की और उनकी खिंचाई करने की कोशिश की।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीति और एनएसयूआई में आने से पहले उन्होंने कांग्रेस, आरएसएस, भाजपा, कम्युनिस्टों और देश की अन्य पार्टियों के इतिहास का गहराई से अध्ययन किया। 47 साल की उम्र में विधायक बनने के बाद उन्होंने डिग्री हासिल की और राजनीतिक ज्ञान को मजबूत किया।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के प्रति मेरी वफादारी पर किसी को सवाल नहीं उठाना चाहिए। मैं जन्म से कांग्रेसमैन हूं और हमेशा रहूंगा।"
शिवकुमार ने बताया कि विलासराव देशमुख सरकार के समय से उन्होंने 100 से ज्यादा विधायकों को पार्टी में लाया है। मुझे जेल में बिना कुर्सी के यातनाएं सहनी पड़ीं। बिना किसी आरोप के मुझे सलाखों के पीछे रखा गया। ईडी के सभी केस सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गए। लेकिन, ये अतीत की बातें हैं। अब इनका जिक्र जरूरी नहीं है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने बयान किसी राजनीतिक दबाव में नहीं दिया, न ही किसी ने उन्हें ऐसा करने को कहा। उन्होंने कहा कि अगर किसी को मेरी बातों से ठेस पहुंची हो, तो मुझे दुख है। मेरा मकसद किसी को दुख देना नहीं है।
उन्होंने बताया, "1980 में मैंने कांग्रेस से राजनीति शुरू की थी। जब विधायक बना, तब मैं ग्रेजुएट भी नहीं था। लेकिन, बाद में मुझे एहसास हुआ कि स्नातक होना जरूरी है। एक राजनेता के रूप में मैं सभी दलों के इतिहास से वाकिफ हूं। लेकिन, कई बातों का मैं खुलासा नहीं करना चाहता।"
डीके शिवकुमार ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का भी शुक्रिया अदा किया और कहा कि मैं लंबे समय से उनके अधीन काम कर रहा हूं और कांग्रेस भवन को मंदिर की तरह पूजना चाहिए, क्योंकि यह हमें नई दिशा देता है। गांधी परिवार और कांग्रेस के प्रति मेरी वफादारी पर कोई सवाल नहीं उठ सकता। मैंने जेल, मुकदमों और हर चुनौती का सामना किया, लेकिन पार्टी के प्रति मेरा समर्पण अटूट है।