Student Suicide Delhi : आशीष सूद ने छात्र की आत्महत्या के बाद सेंट कोलंबा स्कूल के प्रिंसिपल को लिखा पत्र

सेंट कोलंबा छात्र की आत्महत्या पर मंत्री का पत्र, स्कूलों में मानसिक-सहायता पर जोर
दिल्ली: आशीष सूद ने छात्र की आत्महत्या के बाद सेंट कोलंबा स्कूल के प्रिंसिपल को लिखा पत्र

नई दिल्ली: सेंट कोलंबा स्कूल के दसवीं के छात्र की आत्महत्या के बाद दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने स्कूल के प्रिंसिपल रॉबर्ट फर्नांडीस को एक पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि यह पत्र केवल एक मंत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक चिंतित माता-पिता के रूप में लिख रहे हैं।

पत्र में अब्राहम लिंकन के प्रसिद्ध पत्र का जिक्र करते हुए आशीष सूद ने कहा कि बच्चों को ताकत और नम्रता दोनों के साथ पढ़ाया जाना चाहिए। लिंकन के शब्द, "उसे सभी लोगों की बात सुनना सिखाएं, लेकिन वह जो कुछ भी सुनता है उसे सत्य के पर्दे पर फ़िल्टर करे" आधुनिक शिक्षा के लिए एक मार्गदर्शक दर्शन के रूप में जाने जाते हैं।

आशीष सूद ने स्कूलों को अनुपालन से आगे बढ़ने और भावनात्मक रूप से सुरक्षित, सहानुभूतिपूर्ण और उत्तरदायी इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज के छात्रों को अभूतपूर्व दबाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें ऐसी सहायता प्रणालियों की आवश्यकता होती है जो सक्रिय हों।

उन्होंने कहा कि भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रणालियों को मजबूत किया जाना चाहिए। छात्रों में संकट की शीघ्र पहचान होनी चाहिए। इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर शिक्षकों का प्रशिक्षण और संवेदीकरण जरूरी है। छात्रों की खुशी, आत्मविश्वास और भलाई को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने आश्वासन दिया कि एनसीटी दिल्ली सरकार मानसिक-स्वास्थ्य ढांचे, परामर्श बुनियादी ढांचे और शिक्षक-प्रशिक्षण पहल को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों स्कूलों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। उन्होंने सेंट कोलंबा स्कूल से इसकी आंतरिक समीक्षा और सरकार से किसी भी समर्थन की आवश्यकता पर प्रतिक्रिया मांगी है।

दसवीं के छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने को 'दिल दहला देने वाली चेतावनी' बताते हुए मंत्री ने कहा कि बच्चे की स्मृति को पूरी दिल्ली में प्रणालीगत सुधारों के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमारे स्कूलों में किसी भी बच्चे को कभी भी खुद को उपेक्षित या अनदेखा महसूस नहीं करना चाहिए।

--आईएएनएस

 

 

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