Delhi Pollution Crisis : दिल्ली प्रदूषण पर विजय वसंत का लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव, कहा-सरकार ने बीजिंग मॉडल क्यों नहीं अपनाया?

दिल्ली प्रदूषण पर सांसद विजय वसंत ने लोकसभा में तात्कालिक बहस की मांग की
दिल्ली प्रदूषण पर विजय वसंत का लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव, कहा-सरकार ने बीजिंग मॉडल क्यों नहीं अपनाया?

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर की लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर चिंता जताते हुए कन्याकुमारी के सांसद विजय कुमार उर्फ विजय वसंत ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव के लिए पत्र लिखा और संसद का सभी कार्य रोक कर इस मुद्दे पर तत्काल बहस की मांग की।

उन्होंने कहा कि दिल्ली आज ऐसी स्थिति में पहुंच चुकी है जहां सांस लेना भी असुरक्षित हो गया है, लेकिन सरकार अब तक केवल प्रतीकात्मक कदम उठा रही है और वास्तविक समाधान से दूर है।

विजय वसंत ने कहा कि दुनिया के कई देशों ने गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वैज्ञानिक और कठोर कदम उठाकर हालात सुधारे हैं। उन्होंने विशेष रूप से बीजिंग मॉडल का उदाहरण देते हुए बताया कि चीन की राजधानी कभी दिल्ली से भी बदतर प्रदूषण झेलती थी, लेकिन ठोस योजना, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और सख्त कार्यान्वयन के जरिए उसने कुछ ही वर्षों में हवा को काफी हद तक स्वच्छ बना लिया। उनके अनुसार दिल्ली में आज तक ऐसा कोई मजबूत, समयबद्ध और विज्ञान आधारित रोडमैप नहीं बनाया गया है।

सांसद ने पूछा कि केंद्र सरकार अब तक उन वैश्विक मॉडल्स को क्यों नहीं अपना सकी जो प्रभावी साबित हो चुके हैं? एनसीआर के कोयला-आधारित पावर प्लांट्स में अब तक अनिवार्य एफजीडी तकनीक और अन्य उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण क्यों नहीं लगाए गए? इलेक्ट्रिक बसों और सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण की रफ्तार इतनी धीमी क्यों है? दिल्ली में धूल नियंत्रण, औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण और साफ ऊर्जा की ओर बड़े बदलाव के लिए स्पष्ट रणनीति क्यों नहीं है?

उन्होंने कहा कि बीजिंग ने बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक बसें शुरू कीं, भारी उद्योगों को पुनर्स्थापित किया, प्रदूषणकारी इकाइयों पर सख्त नियंत्रण लगाया, पारदर्शी डाटा उपलब्ध कराया और नागरिकों को अभियान का हिस्सा बनाया।

उन्होंने पूछा कि जब दुनिया ने साबित कर दिया कि हवा साफ की जा सकती है, तो भारत की राजधानी क्यों पीछे है?

विजय वसंत ने आरोप लगाया कि यह तकनीकी कमी का मुद्दा नहीं, बल्कि शासन और इच्छाशक्ति की विफलता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बच्चे इनहेलर के सहारे बड़े हो रहे हैं, बाहर काम करने वाले लोग लगातार बीमार पड़ रहे हैं और लघुकालीन प्रदूषण भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में संसद चुप नहीं बैठ सकती।

उन्होंने मांग की कि सरकार बताए कि वह किन तात्कालिक कदमों को लागू करेगी। एनसीआर के प्रदूषणकारी स्रोतों पर क्या त्वरित कार्रवाई होगी? स्वच्छ परिवहन, औद्योगिक सुधार और उत्सर्जन नियंत्रण के लिए समयसीमा क्या तय होगी?

अपने स्थगन प्रस्ताव में सांसद ने साफ कहा कि स्वच्छ हवा कोई विलासिता नहीं, बल्कि बुनियादी अधिकार है। जब देश की राजधानी गैस चेंबर बन चुकी हो, तब संसद सामान्य रूप से आगे नहीं बढ़ सकती।

विजय वसंत ने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि इस गंभीर और निश्चित महत्व के मुद्दे पर तुरंत चर्चा की अनुमति दी जाए ताकि करोड़ों नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाए जा सकें।

--आईएएनएस

 

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