सुकमा: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक जीपी सिंह ने शुक्रवार को दक्षिण बस्तर के सबसे संवेदनशील इलाके में बने तड़मेटला फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) का औचक दौरा किया।
यह बेस पिछले साल कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में हुए बड़े ऑपरेशन ‘ब्लैक फॉरेस्ट’ के बाद स्थापित किया गया था, जिसमें सुरक्षा बलों ने माओवादियों के कई बड़े कमांडरों को मार गिराया था।
डीजी ने एफओबी पर मौजूद सभी यूनिट कमांडरों के साथ करीब तीन घंटे तक वर्तमान स्थिति और आगे की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने पिछले दो साल में माओवादियों के कोर एरिया में बने लगातार दबाव की जमकर सराहना की। डीजी ने कहा कि जिस तेजी से माओवादी भाग रहे हैं, सरेंडर कर रहे हैं या मारे जा रहे हैं, वह अभूतपूर्व है।
इसके बाद जीपी सिंह ने 205वीं कोबरा बटालियन और 196वीं बटालियन के जवानों से सीधा संवाद किया। जवानों ने जंगल में रहते हुए आने वाली दिक्कतें और अपने सुझाव रखे।
डीजी ने सभी के सामने स्पष्ट शब्दों में दोहराया, “मार्च 2026 से पहले हम दक्षिण बस्तर का यह पूरा इलाका माओवादी प्रभाव से पूरी तरह मुक्त कर देंगे। यह मेरा आप सबको वादा है और हम इसे जरूर पूरा करेंगे।”
जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए डीजी खुद जवानों के साथ बड़ाखाना में शामिल हुए। उन्होंने सभी के साथ एक ही पंगत में बैठकर खाना खाया और रात भी तड़मेटला एफओबी पर ही रुके। जवानों ने इसे कमांडर और जवान के बीच सच्ची दोस्ती और विश्वास का बेहतरीन उदाहरण बताया।
सीआरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक पिछले एक साल में दक्षिण बस्तर में 150 से ज्यादा माओवादी मारे गए हैं और 700 से अधिक ने सरेंडर किया है। कई बड़े कैंप और ठिकाने तबाह किए गए हैं। तड़मेटला जैसे नए एफओबी बनने से अब सुरक्षा बल गहरे जंगलों में लंबे समय तक रहकर ऑपरेशन चला रहे हैं।
डीजी का यह दौरा जवानों में नई ऊर्जा भर गया है और माओवाद के खिलाफ लड़ाई को अंतिम मुकाम तक ले जाने का संकल्प और मजबूत हुआ है।
--आईएएनएस
