छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत के मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल को बर्खास्त करने की मांग की।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी छिंदवाड़ा जिले के परासिया पहुंचे हैं, जहां बच्चों की कफ सिरप पीने से मौत हुई थी। पटवारी ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, "जिस कफ सिरप के पीने से बच्चों की मौत हुई है, उस मामले में स्वास्थ्य मंत्री शुक्ल का जो बयान आया था, उसमें कहा गया था कि यह वह दवा नहीं है जिससे बच्चों की मौत हुई। हम इसकी जांच करेंगे। जबकि हकीकत यह है कि तमिलनाडु सरकार की पहले ही रिपोर्ट आ चुकी थी, मगर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश शुक्ल लगातार गुमराह करते रहे। बच्चों की यह मौत सरकार की कार्यशैली को जाहिर करती है।"
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की मौत किसी हादसे से नहीं हुई, बल्कि सरकार की बच्चों के हत्यारे के चेहरे को दर्शाती है। मुख्यमंत्री छिंदवाड़ा और पीड़ितों के बीच आ रहे हैं, इससे पहले वह असम के दौरे पर थे। मेरा आग्रह है कि पीड़ितों के बीच आने से पहले स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करें। मंत्री को बर्खास्त करते हैं, तब तो उनकी पीड़ितों के बीच आने की सार्थकता दिखेगी, नहीं तो सिर्फ पूरी तरह यह लीपापोती की कोशिश मानी जाएगी।
जीतू पटवारी ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''जहरीले कफ सिरप से 16 मासूम बच्चों की मौत एक हृदयविदारक और भयावह त्रासदी है। आज परासिया (छिंदवाड़ा) पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर संवेदना प्रकट की। कांग्रेस पार्टी इस गहरे दुख की घड़ी में प्रत्येक शोकाकुल परिवार के साथ खड़ी है। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक छिंदवाड़ा के उन नन्हे फरिश्तों को न्याय नहीं मिल जाता, जिनकी मासूम जिंदगियां सरकारी लापरवाही और दवा माफिया की घिनौनी साजिश का शिकार हो गईं।''
दरअसल पिछले दिनों छिंदवाड़ा जिले में कई बच्चे बुखार के साथ सर्दी-खांसी से पीड़ित थे। इन बच्चों में से नौ की बाद में उपचार के दौरान मौत हो गई, और यह कहा गया कि बच्चों की मौत की बड़ी वजह कफ सिरप है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु को दुखद बताते हुए इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्यप्रदेश में बैन कर दिया था।
सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया गया। सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है, इसलिए घटना के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा था। जांच रिपोर्ट के आधार पर कड़ा एक्शन लिया गया था।