Budhwar Vrat : ऐसे करें भगवान गणेश और बुध देव की पूजा, दूर होंगे दोष, हर मनोकामना होगी पूरी

कार्तिक नवमी पर करें गणेश पूजा और बुधवार व्रत, मिलेगा बुध दोष से छुटकारा
बुधवार का व्रत: ऐसे करें भगवान गणेश और बुध देव की पूजा, दूर होंगे दोष, हर मनोकामना होगी पूरी

नई दिल्ली: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि बुधवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस तिथि को कोई विशेष पर्व नहीं है। अगर आपको बुध ग्रह से संबंधित दोषों से निवारण पाना है, तो आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं।

स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि बुधवार के दिन भगवान गजानन महाराज की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा, बुध ग्रह संबंधित दोष भी दूर होते हैं।

पौराणिक ग्रंथों में पूजा विधि का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार बुधवार के दिन गणपति का व्रत शुरू करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ कर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके इस आसन पर बैठें। इसके बाद भगवान गणेश को पंचामृत (जल, दूध, दही, शहद, घी) और जल से स्नान कराने के पश्चात सिंदूर और घी का लेप लगाएं। जनेऊ और रोली के बाद कम से कम तीन दूर्वा और पीले, लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए। साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र और दाल भी चढ़ानी चाहिए।

लड्डू, हलवा, या मीठी चीजों का भोग लगाने के बाद श्री गणेश और बुध देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। फिर व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें। इसके बाद श्री गणेश व बुध देव की आरती करनी चाहिए।

पूजन समापन के बाद प्रसाद परिवार में सभी को बांटना चाहिए। गरीबों और ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना और तेल मालिश करना वर्जित माना गया है। व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।

 

 

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