130th Constitutional Amendment Bill: भ्रष्टाचार और अपराधीकरण के खिलाफ मजबूत हथियार साबित होगा 130वां संविधान संशोधन : शहजाद पूनावाला

भ्रष्टाचार रोकने के लिए 130वां संविधान संशोधन, भाजपा प्रवक्ता ने विपक्ष पर साधा निशाना
भ्रष्टाचार और अपराधीकरण के खिलाफ मजबूत हथियार साबित होगा 130वां संविधान संशोधन : शहजाद पूनावाला

नई दिल्ली: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इसे राजनीति में नैतिकता और सुशासन को मजबूती देने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक भ्रष्टाचार और राजनीति के अपराधीकरण को समाप्त करने का एक प्रभावी हथियार साबित होगा।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 130वें संशोधन विधेयक को संसद में लाने का काम किया है। यह विधेयक भ्रष्टाचार से लड़ने का एक बड़ा हथियार है। अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री किसी गंभीर अपराध में जेल जाते हैं और 30 दिनों के भीतर उन्हें जमानत नहीं मिलती है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा।"

उन्होंने कहा, "यह कानून नैतिकता और सुशासन के पक्ष में है। सुशासन में जो सबसे बड़ा विघ्न 'राजनीति का अपराधीकरण' है और उसे हटाने में यह सबसे बड़ा वरदान है।"

शहजाद पूनावाला ने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "दुख की बात यह है कि आज जब पूरा देश इस नैतिकता और सुशासन के हथियार का स्वागत कर रहा है, तो वहीं विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। जब देश इस पहल का स्वागत कर रहा है, तब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) जैसी पार्टियां भ्रष्टाचार को संरक्षित करने के लिए इस विधेयक का विरोध कर रही हैं। ऐसा लगता है कि विपक्ष 'बहिष्कार ब्रिगेड' और 'भ्रष्टाचार के संरक्षक' की भूमिका निभा रहा है। ये लोकतंत्र नहीं बल्कि अपने परिवार और सत्ता को बचाना चाहते हैं। कांग्रेस की निर्लज्ज राजनीति बनाम पीएम मोदी की नैतिक राजनीति में यही स्पष्ट फर्क है। विपक्ष को बताना चाहिए कि वे नैतिकता के साथ हैं या निर्लज्जता के साथ।"

पूनावाला ने कहा, "जब भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए कानून लाने की पहल की जा रही है तो यही लोग इसका विरोध कर रहे हैं। जेपीसी की कार्रवाई तक का बहिष्कार करना इनकी भ्रष्टाचार-समर्थक सोच को दर्शाता है। विपक्ष के नेता भ्रष्टाचार और अपराध का बहिष्कार करने के बजाय हर उस चीज का बहिष्कार करते हैं, जो देश के सम्मान और गरिमा से जुड़ी हो। वह (विपक्ष) कभी शुभांशु शुक्ला के सम्मान समारोह का बहिष्कार करते हैं, कभी लाल किले पर आधिकारिक 15 अगस्त के कार्यक्रम का और कभी आदिवासी समाज से आईं पहली राष्ट्रपति के प्रथम संबोधन का बहिष्कार करते हैं। यह बहिष्कार ब्रिगेड उन पार्टियों से भी भरी है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के नाम पर बनी थी, जिन्होंने कभी रामलीला मैदान में टोपी पहनकर लोकपाल लाने और भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने के दावे किए थे। आज वही लोग ऐसे सियासी धर्मांतरण से गुजरे हैं कि अन्ना से लालू तक, झाड़ू से दारू तक, पाठशाला से मधुशाला तक पहुंच गए हैं।"

उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने भ्रष्टाचारियों को तिहाड़ भेजने की बातें की थीं, उन्होंने तिहाड़ से सरकार चलाने का रिकॉर्ड बनाया और 150 दिन तक तिहाड़ से सरकार चलने का जो एकमात्र उदाहरण है, वह इन्हीं से जुड़ा है। जो राजनीति को बदलने का दावा लेकर आए थे, वे खुद पूरी तरह बदल गए हैं।"

भाजपा नेता ने कहा कि यह कानून और नैतिकता का सिद्धांत संविधान सभा की उस सोच से जन्मा है, जब केएम मुंशी जैसे महानुभावों ने यह उम्मीद की थी कि राजनीति नैतिकता के पटल पर होगी। उन्हें लगा था कि लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोग नेता होंगे, जिन्होंने केवल आरोप लगने पर इस्तीफा दे दिया। लालकृष्ण आडवाणी और मदन लाल खुराना जैसे होंगे, जिन्होंने मामूली आरोपों पर भी पद छोड़ दिया या गृह मंत्री अमित शाह जैसे, जिन्होंने जेल जाने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। लेकिन, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राजनीति में इतनी निर्लज्जता का प्रदर्शन होगा कि जो रामलीला मैदान से लोकपाल की मांग कर रहे थे, वही जेल से 150-160 दिन तक सरकार चलाएंगे। जब उन्होंने ऐसा किया तो हाईकोर्ट को टिप्पणी करनी पड़ी कि वे व्यक्तिगत स्वार्थ को राष्ट्रीय हित से ऊपर रख रहे हैं। उनके साथी सेंथिल बालाजी ने भी 244 दिन तक जेल में रहते हुए मंत्री पद बनाए रखा और सुप्रीम कोर्ट को चेतावनी देनी पड़ी कि यदि उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया तो सीधे जेल भेजा जाएगा।

 

 

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