चंडीगढ़: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक अश्विनी शर्मा ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के खिलाफ सख्त कानून का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के अपराधों के लिए सजा को और कड़ा करना चाहिए।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने पंजाब में प्रस्तावित 'बेअदबी विरोधी विधेयक' पर जोर देते हुए कहा, "हम इस बिल का समर्थन करते हैं। बेअदबी के लिए सजा को 3 साल से बढ़ाकर 10 साल या उम्रकैद करना चाहिए।"
शर्मा ने धार्मिक ग्रंथों, जैसे रामायण, विष्णु पुराण, भागवत पुराण और अन्य धर्मों के ग्रंथों का अपमान रोकने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही मूर्तियां खंडित करने वालों के खिलाफ भी सख्त कानून बनाने की मांग की। उन्होंने पंजाब की मौजूदा 'आप' सरकार पर निशाना साधते हुए विधायक नरेश यादव के मामले को भी उठाया।
भाजपा नेता ने कहा, "नरेश यादव पर बेअदबी के एक मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी। निचली अदालत ने दो लोगों को सजा दी, लेकिन नरेश यादव को बरी कर दिया गया। बाद में अकाली-बीजेपी सरकार ने ऊपरी अदालत में अपील की कि यादव को गलत बरी किया गया, लेकिन जब आप सरकार सत्ता में आई, तो उसने नरेश यादव को बचाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें केस वापस लेने की मांग की गई। अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया और यादव को दो साल की सजा सुनाई।"
उन्होंने इस घटना को आप सरकार की नीयत पर सवाल उठाने वाला बताया और कहा कि आप सरकार की इस हरकत से शक पैदा होता है। बोले, "पंजाब में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है, गोलीकांड और फिरौती की घटनाएं बढ़ रही हैं। क्या इस बिल के जरिए ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है? भाजपा इस कानून का समर्थन करती है, लेकिन सरकार की नीयत साफ होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक ग्रंथों और प्रतीकों की बेअदबी रोकने के लिए व्यापक कानून जरूरी है।"
पठानकोट से विधायक अश्विनी शर्मा ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की कि मूर्ति खंडन जैसे मामलों को भी इस कानून में शामिल किया जाए, ताकि सभी धर्मों के लोगों की भावनाओं का सम्मान हो।
बता दें कि पंजाब के मलेरकोटला में 24 जून 2016 को एक धार्मिक ग्रंथ के फटे पन्ने मिलने से सांप्रदायिक तनाव फैला। इस मामले में दिल्ली के महरौली से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक नरेश यादव को आरोपी बनाया गया। एक अन्य आरोपी, विजय कुमार ने दावा किया कि यादव ने 1 करोड़ रुपये का ऑफर देकर बेअदबी करवाई ताकि 2017 के पंजाब चुनाव में आप को फायदा हो। 2016 में यादव को गिरफ्तार किया गया, लेकिन 2021 में निचली अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। शिकायतकर्ता मोहम्मद अशरफ की अपील के बाद, 29 नवंबर 2024 को मलेरकोटला की अदालत ने यादव को दो साल की सजा और 11,000 रुपये जुर्माना सुनाया। 5 दिसंबर 2024 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उनकी सजा निलंबित कर जमानत दी। यह मामला राजनीतिक विवाद का केंद्र बना।