Gaurav Vallabh On Rahul Gandhi: ‘दोनों के फ्यूज उड़े हैं’, तेजस्वी के राहुल गांधी को पीएम बनाने के बयान पर गौरव वल्लभ ने कसा तंज

गौरव वल्लभ ने राहुल और तेजस्वी पर तंज कसा, कहा- दोनों वंशवादी नेता
‘दोनों के फ्यूज उड़े हैं’, तेजस्वी के राहुल गांधी को पीएम बनाने के बयान पर गौरव वल्लभ ने कसा तंज

नई दिल्ली:  भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 2029 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री बनाने के ऐलान पर तंज कसा है। गौरव वल्लभ ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों नेताओं के फ्यूज उड़े हुए हैं।

आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि दो वंशवादी नेता एक दूसरे का प्रचार करने में लगे हैं। असल में दोनों के फ्यूज उड़े हुए हैं और बिना फ्यूज के मिसाइलें उड़ नहीं सकती हैं। बातें करने से कुछ भी हासिल नहीं होता है। भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने दोनों नेताओं की योग्यता पर सवाल उठाते हुए वंशवाद को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया।

बता दें कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाल रहे हैं। उनकी इस यात्रा में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव भी साथ दे रहे हैं। बिहार के नवादा में 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को भविष्य का प्रधानमंत्री बनाने की बात कही। उनके इस बयान पर अब भाजपा नेता ने पलटवार किया है।

उन्होंने कहा, "मैं दोनों को बताना चाहता हूं कि सिर्फ एक परिवार में पैदा होने से कोई प्रधानमंत्री नहीं बन जाता। मुख्य बात यह है कि इंदिरा गांधी-राजीव गांधी परिवार में पैदा होने के अलावा, आपकी योग्यताएं क्या हैं और राष्ट्र के प्रति आपका समर्पण क्या है? तेजस्वी की भी यही योग्यता है। दोनों एक-दूसरे का प्रचार करने में व्यस्त हैं।"

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए, वल्लभ ने संवैधानिक पदों की गरिमा बनाए रखने के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया।

उन्होंने कहा, "लोकतांत्रिक प्रक्रिया में, अगर कोई उम्मीदवार नामित करता है, तो कोई समस्या नहीं है। हालांकि, मेरा मानना है कि कुछ संवैधानिक पद, जैसे अध्यक्ष, उपराष्ट्रपति या राज्यसभा के सभापति, सर्वसम्मति से तय किए जाने चाहिए। लेकिन, विपक्ष इन पदों का भी राजनीतिकरण करना चाहता है। अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में होते, तो वे किसी को भी नहीं, बल्कि अपने ही परिवार के सदस्यों को नियुक्त करते।

यह कांग्रेस के दोहरे मानदंडों को उजागर करता है; वे संवैधानिक पदों की गरिमा के अनुरूप काम नहीं करना चाहते। इंडी अलायंस के लोगों का चेहरा भी लोग देख रहे हैं।

 

 

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